शालाबाह्य लडकों की तलाशी मुहिम में कोरोना बन गया बाधा
शिक्षकों में रोष, कंटेनमेंट जोन के लडकों का क्या?
यवतमााल प्रतिनिधि/ दि.५ – कोरोना संकट के चलते इस वर्ष एक भी स्कूल नहीं भरी. दूसरा यह की सैकडों लडके शालाओं में दाखल ही नहीं हुए, ऐसे शालाबाह्य लडकों की तलाशी मुहिम 1 से 10 मार्च तक शिक्षा विभाग ने शुरु की है. किंतु जिले में कोरोना का बढता प्रादुर्भाव रहने से यह तलाशी मुहिम अमल में लाने में अनेक बाधा आ रही है.
जिले में सभी ओर कोरोना के मरीज बडे प्रमाण में पाये जा रहे है. ऐसे में शिक्षकों को शालाबाह्य लडके तलाश करने के लिए दरदर भटकने के आदेश मिले है. इससे क्या फिर एक बार कोरोना संसर्ग बढाने को निमंत्रण नहीं मिलेगा, इस तरह का प्रश्न शिक्षकों ने उपस्थित किया है. वहीं दूसरी ओर स्वयं यवतमाल के तहसीलदार कुणाल झालटे ने यवतमाल के गुट शिक्षाधिकारियों को लिखित पत्र देकर शालाबाह्य लडकों की तलाशी मुहिम ‘जरा संभालकर’ अमल में लाने की सूचना की है. किंतु तलाशी मुहिम के लिए राज्यस्तर पर समितियां गठित हुई है.नेर, बाभुलगांव, यवतमाल जैसे तहसील में यह तलाशी मुहिम अमल में लायी जा रही है तो कुछ तहसील के गटशिक्षणाधिकारी की ओर से अभी भी मुहिम की शुरुआत नहीं की गई. कोरोना के चलते शाला बंद है. फिर शालाबाह्य लडके तलाशकर उन्हें दाखिल कहा करोंगे, उन्हें कौन पढायेगा, इसका जवाब मात्र शिक्षा विभाग के पास नहीं है. अभियान के आड में पट पंजीयन होने की आंशका व्यक्त हो रही है.
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तहसील निहाय दल
शालाबाह्य लडकों की तलाश करने के लिए प्रमुखता से हर शाला के शिक्षकों का एक-एक दल नियुक्त किया गया हेै. किंतु एक ही गांव में विविध परिसर के लिए अलग अलग दल तेैयार किया गया है. इसमें सर्वाधिक शालाओं की संख्या पुसद व उमरखेड तहसील में रहने से वहां दल की संख्या भी बडी मात्रा में है. इसके अलावा यवतमाल शहर व पांढरकवडा परिसर में दल का प्रमाण अधिक रहने की बात शिक्षा विभाग की ओर से बताई जा रही है.
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अधिकारी अभी तक भटके ही नहीं
यवतमाल शहर से बाहर धामणगांव मार्ग पर भटके लोगों की राहुटी है. वहां तीन छोटी लडकियां व 7 से 8 लडके है. इस राहुटी को भेंट देकर पूछताछ करने पर वहां के पालकों ने कहा कि हमारे लडकों की शाला बाबत पूछताछ करने के लिए अभी तक कोई भी अधिकारी नहीं आया है. शाला कहा है, यह भी हमें पता नहीं है, दारव्हा मार्ग पर एमआईडीसी परिसर में भटके लोगों की ओर एक राहुटी है. वहां भी लगभग 15 छोटे बच्चें पालकों के साथ रहते है. किंतु यहां भी शालाबाह्य लडकों की तलाश करने वाला दल अभी तक नहीं पहुंचा. पालकों के साथ मिला वह काम करना और मिले वह कपडे पहनकर दिन बिताना यह इनका दिनक्रम है.
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अन्य विभाग के कर्मचारी मुहिम में उदासिन
शालेय शिक्षा विभाग ने इस समय पहली बार शालाबाह्य लडकों की तलाश करने के लिए राज्य, विभाग से लेकर तो जिला व तहसील स्तर तक नियंत्रण समितियां गठीत करने के आदेश दिये है. जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष स्वयं जिलाधिकारी है. इस अभियान के लिए शिक्षकों के साथ राजस्व व ग्राम विकास विभाग के कर्मचारियों का भी दल में समावेश करने की सूचना है. किंतु जिले में शिक्षकों के अलावा किसी भी विभाग के कर्मचारी इस अभियान में अभी सहभागी नहीं हुए. इस बाबत पुछने पर अन्य विभाग के कर्मचारी कोरोना के काम में व्यस्त रहने की बात कही जाती है तथा कोरोना संकट में यह सर्वेक्षण क्यों किया जा रहा है, इस तरह का प्रश्न भी अनेक कर्मचारियों ने उपस्थित किया है.
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जिलाधिकारी ने कहा, सर्वे शुरु है
हर एक तहसील में गटशिक्षाधिकारी के अधिकार क्षेत्र में शिक्षकों का दल नियुक्त किया गया है. उन्हें गांव अथवा परिसर बांट दिये है. यह दल डोअर टू डोअर शालाबाह्य लडकों का सर्वे कर रहे है. किंतु जहां कंटेनमेंट जोन है वहां सर्वेक्षण के लिए न जाने की सूचना है, ऐसा प्राथमिक शिक्षाधिकारी प्रमोद सूर्यवंशी ने कहा.
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जिलाधिकारी की बैठक
शालाबाह्य लडकों की तलाशी मुहिम बाबत जिलास्तरीय समिति की 26 फरवरी को बैठक हुई. समिति के अध्यक्ष तथा जिलाधिकारी एम.डी.सिंह सह अध्यक्ष तथा सीईओ डॉ.श्रीकृष्ण पांचाल, पुलिस अधिक्षक डॉ.दिलीप पाटिल भुजबल, शिक्षाधिकारी प्रमोध सूर्यवंशी व दिपक चवने आदि उपस्थित थे.