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बेमौसम बारिश का भी किसानों को झटका
यवतमाल प्रतिनिधि/दि.२० – निजी बाजार में कपास को समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिलने से किसानोें ने सीसीआय व पणन महासंघ के खरीदी केंद्रों से मुंह फेर लिया है. इसलिए इन दो एजेंसी में कुल उत्पादन का केवल 30 फीसदी कपास ही खरीदी हो पाया है. गुणवत्ता नहीं रहनेवाले कपास को नहीं खरीदना, यह भी एक मुख्य वजह है.
राज्य में 73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ के दौरान कपास की बुआई की गई थी. शुरूआत में देरी से हुई बारिश और इसके बाद बेमौसम बारिश व बोंडइल्ली के आक्रमण की वजह से कपास का औसत उत्पादन कम हुआ. इसके अलावा एफएक्यू स्तर के बजाय फरदर कपास ज्यादा हुआ. अच्छे किस्म का केवल 40 फीसदी कपास ही उत्पादित हुआ. कोरोना की पृष्ठभुमि का भी झटका खेतीबाडी को लगा है. औसतन उत्पादन कम होने, कपास चुनने का बडे खर्च से किसानों ने फसल को उखाडकर फेंक दिया है. वहीं अधिकांश किसानों के खेत में कपास नजर आ रहा है, लेकिन चुनने का खर्च काफी महंगा पड रहा है. राज्य में सीसीआय की 82, पणन महासंघ के 53 खरीदी केंद्र खोले गये है. कपास दर्जात्मक नहीं रहने से सीसीआय ने अनेक किसानों का कपास नकार दिया है. जिसके चलते किसानों कोे निजी बाजार में कम भाव में कपास बेचना पडा है.
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सीसीआय की खरीदी 43 लाख क्विंटल घटी
इस वर्ष सीसीआय को केवल 87 लाख क्विंटल (17 लाख 50 हजार गाठी) कपास खरीदी का मौका मिला है. बीते वर्ष सीसीआय ने तकरीबन 1 करोड 30 लाख क्विंटल (26 लाख गाठी) कपास खरीदा था. बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष 43 लाख क्विंटल कपास की खरीदी कम हुई है. ऐसे ही कुछ स्थिति कपास उत्पादक पणन महासंघ की खरीदी केंद्र पर देखने को मिली. बीते वर्ष 97 लाख क्विंटल (19 लाख गाठी) कपास खरीदी करनेवाले पणन महासंघ ने इस मौसम में केवल 35 लाख क्विंटल (7 लाख गाठी) कपास खरीदी किया है.
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राज्य में चार करोड क्विंटल कपास का उत्पादन
निजी बाजार में उच्चस्तर के कपास को 5800 से 6000 तक भाव मिल रहा है. राज्य में 4 करोड क्विंटल कपास का उत्पादन होता है. इसमें से केवल 30 फीसदी यानी 1 करोड 25 लाख क्विंटल कपास सीसीआय व पणन महासंघ ने खरीदी किया है. शेष 70 फीसदी कपास निजी बाजार में बेचा गया है. हल्के दर्जे के कपास को बाजार में न्यूनतम पांच हजार रूपये प्रति क्विंटल भाव दिया जा रहा है. निकट भविष्य में कपास को 6 हजार 300 रूपये तक भाव मिलने की संभावना जतायी जा रही है.
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महिनाभर पहले सरकारी केंद्रों में थी विरानी
प्रतिवर्ष सरकारी कपास खरीदी केंद्रों पर 15 मार्च तक भीड देखने को मिलती है, लेकिन इस वर्ष 15 फरवरी के पूर्व केंद्रों में विरानी देखने को मिली. कोरोना के भय से पहले दो माह में केंद्र पर कपास की तेजी से खरीदी हुई. सीसीआय की बीते वर्ष 98 फीसदी रूई की गाठी बेची गयी. इस वर्ष खरीदी से तैयार की गई 70 फीसदी गाठी भी बेचे जाने की जानकारी है.
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कपास का क्षेत्र बारिश पर निर्भर
इस बार खरीफ में कपास का बुआई क्षेत्र बढेगा या घटेगा, इसका निर्णय समर्थन मूल्य भाव और मौसम विभाग के बारिश के अनुमान पर निर्भर है. पहले ही कपास का दायरा बढ गया है और भी बढने की संभावना है. बारिश देरी से होगी तो कपास का क्षेत्र घटेगा नहीं. यह अनुमान भी है.
सरकारी एजेंसियों को राज्य में केवल 30 फीसदी कपास खरीदी करने का मौका मिला है. बारिश के चलते कपास का स्तर और निजी बाजार में समर्थन भाव के हिसाब से मिलनेवाला दर यह मुख्य कारण है. अधिकांश कपास किसानों ने निजी बाजार में बेचा है.
– एस. के. पानीग्रह
मुख्य महाप्रबंधक, सीसीआय मुंबई