यवतमाल

प्रपोगंडा मेडिसीन के बाजार में संचालक डॉक्टर मालामाल

पार्टनरशिप में हर महीने 10 करोड का कारोबार

* स्टैंडर्ड औषधि से ज्यादा बडी मार्जिन
यवतमाल/दि.10– मेडिकल क्षेत्र की व्यवसाय के साथ सेवाभाव की पहचान अब मिट रही है. इसमें बडा निवेश करना पडता है. इसके साथही शिक्षा पर भी काफी खर्च करना होता है. ऐसे स्थिति में भी कई लोग केवल मरीजों के हित को देखते हुए व्यवसाय कर रहे है. लेकिन कुछ लोग आर्थिक लालच को नहीं रोक सकते. उसमें दवा कंपनियां प्रलोभन देती है. शहर सहित जिले के वैद्यकिय क्षेत्र में अब नया ट्रेन्ड शुरु हो गया है. कुछ डॉक्टरों ने दवा कंपनियों में भागीदारी शुरु की है. उसमें भी प्रपोगंडा मेडिसीन अ‍ॅन्ड डिस्ट्रीब्यूशन पीसीडी कंपनी को पसंद किया जा रहा है. इसमें सबसे ज्यादा मार्जिन मिलने से यह खेल शुरु है. महिने में औसतन 10 करोड का कारोबार हो रहा है.

शुरुआत में पीसीडी मेडिसीन एसिडिटी, टॉनिक, कैल्शिअम, हेल्थ सप्लिमेंट, पेन किलर में तैयार किया जाता था. इसका उपयोग मरीजों पर हो रहा था. 40 से 50 प्रतिशत की मार्जीन रहने से इसे भी पसंद किया जाता है. इस दवा का असर मरीजों पर विशेष नहीं पड रहा. अपेक्षित परिणाम आने केवल कुछ समय लगता था, इसलिए यह बात आसानी से किसी के ध्यान में नहीं आ रही थी.
लेकिन अब जीवनरक्षक औषधि भी पीसीडी से दी जा रही है. जिसमें ब्लड प्रेशर, मधुमेह, ह्दयविकार से संबंधित औषधि, इंजेक्शन का समावेश है. इसमें कई औषधि ब्रान्डेड औषधि से ज्यादा दर से बेची जा रही है.

* ऐसी है मानांकन की प्रक्रिया
औषधि की गुणवत्ता संबंध में ड्रग्ज कंट्रोल ऑफ इंडिया काम करता है. प्रत्येक औषधि का मोनोग्राफ तय है. रसायन को औषधि के रूप में मान्यता मिलने के बाद गहरी जांच की जाती है. औषधि घटक भी जांचे जाते है. टेबलेट, इंजेक्शन का एसए किया जाता है. इसलिए पीसीडी को गुणवत्ता में कम आंका हीं जा सकता. लेकिन वैद्यकिय क्षेत्र के वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा पीसीडी से ज्यादा स्टैंडर्ड औषधि ही बेस्ट है, ऐसा कहा जाता है.

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