यवतमाल/दि.20– जैताई देवस्थान की ओर से हर साल जैताई मातृगौरव पुरस्कार दिया जाता है. इस बाद इस तपपूर्ति के वर्ष में अनाथों के मसीहा डॉ. शंकरबाबा पापलकर को यह पुरस्कार देवी के वरिष्ठ उपासक सुधाकर पुराणिक के हाथों प्रदान किया गया. 19 अक्टूबर को ललिता पंचमी के पर्व पर समारोह का आयोजन किया गया था. इस समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में विधायक संजीवरेड्डी बोदकूरवार, जैताई देवस्थान के अध्यक्ष माधव सरपटवार, आशुतोष शेवालकर, किशोर साठे, चंद्रकांत अणे, गजानन कासावार, डॉ.प्रकाश खानझोडे, तुषार नगरवाला आदि मान्यवर मंच पर उपस्थित थे.
शंकरबाबा की मानसकन्या गांधारी ने मोगरा फुलला यह गीत प्रस्तुत किया. मान्यवरों के हाथों शंकरबाबा पापलकर को एक लाख रुपए का जैताई मातृगौरव पुरस्कार देकर सम्मान किया गया. विधायक बोदकूरवार ने कहा कि, यह पुरस्कार वणी नगरीवासियों के लिए गौरव की बात है. आज पुरस्कार के लिए योग्य व्यक्ति को यह पुरस्कार प्रदान होने से पुरस्कार गौरव और भी बढ गया है. इस अवसर पर संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के अधिसभा पर राज्यपाल नियुक्त सदस्य के रूप में गजानन कासावार का व विद्वत परिषद पर राज्यपाल नियुक्त सदस्य के रूप में डॉ.प्रमोद खानझोडे का शंकरबाब पापलकर के हाथों सत्कार किया गया. इस समारोह में वणी नगरवासी बडी संख्या में उपस्थित थे.
* मातृह्दय ने किए कार्यों का यह सम्मान : शंकरबाबा
डॉ. शंकरबाबा पापलकर ने अपना मनोगत व्यक्त करते हुए कहा कि, इस जैताई के मंदिर में हम सभी ने मिलकर मेरे जैसे एक धोबी का सत्कार किया, जो कि सही मायने में जातीयता का विलय करते हुए कार्यों का गौरव किया है. जीवन में दुख तो आनेवाले ही है, उन दुखों का सामना हसते-खेलते करना चाहिए. रूकना नहीं है, कर्तव्य करने वाले को दुनिया में कोई रोक नहीं सकता, यह संदेश शंकरबाबा ने इस समय दिया. संतश्रेष्ठ गुलाबराव महाराज के आदर्श को सामने रखकर मैंने मातृह्दय से अब तक किए कार्यों का यह सम्मान है, ऐसा कहकर शंकरबाबा ने पुरस्कार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की.