यवतमाल/दि. 8– अतिवृष्टि के कारण इस वर्ष खरीफ सत्र में कपास, तुअर, सोयाबीन उत्पादक किसानों का भारी नुकसान हुआ. फसल बीमा कंपनियों ने किसानों को 35, 50 और 90 रुपए नुकसान भरपाई देकर उनके जख्मों पर नमक लगाने का काम किया है. इस कारण किसानों में तीव्र रोष व्याप्त है. इस असंतोष का नजारा गुरुवार 7 दिसंबर को यवतमाल में देखने मिला.
किसानों ने फसल बीमा की रकम लेने के लिए तिजोरी लाई. तिजोरी और सजाई गई बैलगाडी के साथ किसान पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और उन्होंने बीमा की रकम के लिए सशस्त्र सुरक्षा देने की मांग की. इस आंदोलन ने यवतमाल वासियों का ध्यान केंद्रीत कर लिया था. किसान नेता देवानंद पवार के नेतृत्व में यह आंदोलन किया गया. पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पहुंचकर किसानों ने आवेदन प्रस्तुत किया. इस आवेदन में, ‘मैं नीचे हस्ताक्षर करनेवाला फसल बीमा धारक किसाना मौजा शिवनी, तहसील घाटंजी, जिला यवतमाल निवासी हूं इसके जरिए आपसे निवेदन करता हूं कि इस वर्ष खरीफ सत्र की कपास और सोयाबीन फसल के लिए केंद्र व राज्य सरकार की महेरबानी से बीमा कंपनी ने मुझे 52 रुपए 99 पैसे फसल बीमा मंजूर किया है. इस कारण मैं काफी खुश हुआ हूं. यह पैसे मेरे जैसे एक गरीब किसान के लिए 50 खोके से भी बडे रहने के कारण इस रकम की सुरक्षा की मुझे काफी चिंता होने लगी है. इसके अलावा बैंक से यह रकम थैली अथवा सुटकेस में ले जाना संभव न रहने से पैसे ले जाने के लिए मैं पूश्तैनी तिजोरी और बैलगाडी लाया हूं. 52.99 रुपए रकम से भीर तिजोरी बैलगाडी से ले जाते समय बीच मार्ग में लूटपाट होने की अथवा डाका गिरने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता’. संपूर्ण विश्व और दबमाशों की रकम इस फसल बीमा की रकम पर लगी है. यह रकम मेरे लिए काफी महत्वपूर्ण है. सी-बिल की शर्त के कारण बैंक का फसल कर्ज न मिलने से सावकारों से लिया कर्ज फसल बीमा के पैसे से सर्वप्रथम अदा किया जाएगा. खडी फसलों को नष्ट करनेवाले वन्य प्राणियों व जंगली सूअरों का बंदोबस्त करने के लिए खेत में तार कम्पाउंड खडा किया जाएगा. तबीयत ठिक न रहने के बावजूद खेत में रात-दिन परिश्रम करने वाली मेरी पत्नी को दवाखाना ले जाउंगा. पिछले अनेक माह से फटी पेंट में शाला में जाने वाले पाल्यों को कपडे लेकर दूंगा. बालिग हुई बेटी की धूमधाम से शादि करुंगा और पूरे परिवार के साथ एक बार गुवाहाटी पर्यटन के लिए जाउंगा, ऐसा इस पत्र में कहा गया है.