यवतमाल

यवतमाल में पिस्तौल लाईसेंस की भी फैशन

जिले में 894 लाईसेंस

  • यवतमाल व पुसद में सर्वाधिक लाईसेंस

यवतमाल/प्रतिनिधि दि.५ – स्वसंरक्षण व खेती संरक्षण इन दो प्रमुख कारणों के लिए हथियारों के लाईसेंस दिये जाते है. इसमें खेत शिवार में जंगली जानवरों से बचने के लिए सर्वाधिक लाईंसेस निकाले गए हेै. जिले में 894 लाईसेंस लोगों ने निकाले है. जिसमें जनप्रतिनिधि, व्यापारी, ठेकेदार और सर्वाधिक डॉक्टरों का समावेश है. इसके अलावा प्रतिष्ठीत व्यक्ति व कुछ किसानों का भी समावेश है.
हथियारों के लाईसेंस हासिल करना काफी मुश्किल है. उसी पध्दति से उसका संरक्षण करना भी उतना ही मुश्किल है. यह शस्त्र रखते समय खेती संरक्षण के लिए 12बोअर बंदुक को अनुमति है. जबकि स्वसंरक्षण के लिए रिव्हाल्वर व पिस्तौल इस तरह 2 बंदुकों के लाईसेंंस दिये जाते हेै. यह शस्त्र सार्वजनिक जगह पर निकालते नहीं आते. केवल आत्मसंरक्षण के लिए उसका अंतिम पर्याय के रुप में इस हथियार का इस्तेमाल करते आता है. पुलिस अधिक्षक, उपविभागीय अधिकारी व जिलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद ही छाननी कर हथियारों के लाईसेंस देने बाबत जिलाधिकारी निर्णय लेते हेै. जिस शस्त्र को लाईसेंस मिला वह खोना नहीं चाहिए. इसके अलावा उसका दहशत फैलाने के लिए उपयोग भी नहीं करते आता. इस कारण ऐसे हथियारों को काफी संभलकर रखना पडता है. पिछले 5 वर्षों में अनेकों अर्जी आयी है. मात्रा प्रशासन ने सभी मुद्दों की जांच पडताल करने के बाद इसमें से अधिकांश अर्जी नकारी है. स्वसंरक्षण व खेती संरक्षण के लिए इन हथियारों को अनुमति है.

  • शस्त्र लाईसेंस कैेसे निकाले?

लाईसेंस निकालते समय जिलाधिकारी कार्यालय में इस संदर्भ के ठोस कारण देने पडते है. इसके बाद शस्त्र क्यों आवश्यक है, इसपर सुनवाई होती है. उसके बाद विचार कर लाईसेंस दिये जाते है.

  • अधिकारी वर्ग में भी बढती क्रेज

शस्त्र परवाना हासिल करने के लिए और राजस्व विभाग के अधिकारी भी प्रयासरत है. रेत माफियाओं के उपद्रव से दंडाधिकारी का दर्जा रहने वाले अधिकारी स्वयं को असुरक्षित समझ रहे है. जिससे जिला प्रशासन के पास शस्त्र लाईसेंस के लिए अर्जी आ रही है.

  • पांच वर्ष में चुनिंदा ही लाईसेंस

लाईसेंस मांगने का अधिकार कुछ चुनिंदा प्रकरणों में ही दिया गया है. इस अर्जी के बाद संबंधित व्यक्ति को लाईसेंस देना या नहीं इस विषय के अधिकार जिला प्रशासन को है. जिले में इसके चलते सुनवाई हुई है. इस समय जिलाधिकारी ने शस्त्रों के लाईसेंस नकारे है. जिससे पांच वर्ष में चुनिंदा ही लाईसेंस दिये गए है.

  • कठोर नियमों से नए लाईसेंस रोके

– जान को धोका रहने वाले व्यक्तियों को हथियार रखने के लाईसेंस देते समय सबसे पहले उसपर सही मायने में हमला हुआ था क्या? इसकी रिपोर्ट मांगी जाती है.
– इसके बाद पुलिस विभाग की ओर से उस मामले में सुनवाई की जाती है. आदि सभी मुद्दे जांचने के बाद जिलाधिकारी हथियारों के लाईसेंस देते है.

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