यवतमाल

यवतमाल में कोरोना मृत्यु दर ज्यादा कैसे?

विभागीय आयुक्त ने पूछा सवाल

  • टीकाकरण की गति भी पड़ी धीमी

यवतमाल/प्रतिनिधि दि.२ – पश्चिम विदर्भ में आने वाले अकोला, अमरावती में कोरोना पॉजीटीव मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद भी मृत्यु दर काफी कम है. वहीं इसके विपरीत यवतमाल में मृत्यु का आंकड़ा बढ़ रहा है. मृत्य दर बढ़ने के कारणों के बारे में अमरावती संभागीय आयुक्त पियूष सिंह ने यवतमाल जिला प्रशासन से इस बारे में सवाल किया है.
गुरुवार को पियूष सिंह ने कोरोना उपाय योजना के मुद्दे पर जिलाधिकारी कार्यालय में समीक्षा बैठक ली. इस समय यवतमाल के नये जिलाधीश अमोल येडगे, जि.प. मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. श्रीकृष्णनाथ पांचाल प्रमुखता से मौजूद थे. जिले में कोरोना की स्थिति को लेकर आयुक्त ने तीव्र नाराजी जताई. जिले में मृत्यु दर तकरीबन 2.27 है. वहीं टीकाकरण का दर केवल 30 फीसदी है. अमरावती जिले की तुलना में अक्तूबर से जिले में मृत्यु दर तेजी से बढ़ रही है. फरवरी 2021 में यवतमाल जिले में 36 लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है. मार्च माह में अकेले शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में मृत्यु का आंकड़ा 1636 है. यवतमाल जिले में कोरोना का मृत्यु दर ज्यादा क्यों? यह मुद्दा आयुक्त ने उठाया. यवतमाल में हो रहे टीकाकरण की धीमी गति पर भी उन्होंने सवाल किये. अब तक केवल 30 फीसदी टीकाकरण का लक्ष्य पूरा हुआ है. ुपुलिस,राजस्व,जिला परिषद कर्मचारी,स्वास्थ्य कर्मचारी इन फ्रंट लाइन वर्कर्स का अब तक 15 फीसदी टीकाकरण भी नहीं होने की गंभीर जानकारी सामने आयी है. टीकाकरण की यही गति बरकरार रहने से जिले में होने वाले टीके की आपूर्ति भी कम होगी, वहीं मरीज एवं उनकी मृत्यु संख्या बढ़ सकती है. यह भय आयुक्त ने जताया है.

  • कंटेनमेंट झोन की संख्या बढ़ाये

कोरोना नियंत्रण के लिये प्रतिबंधात्मक उपाय योजनाओं पर जोर दिया जाये. कंटेनमेंट झोन की संख्या बढ़ाये.ऑक्सीजन, आयसोलेशन, बेड, दवाईयां आदि की उपलब्धता को जांचे, निरंतर ब्यौरा लिया जाये, होम आयसोलेट मरीजों पर वॉच रखा जाये, टीकाकरण की गति को बढ़ाने के निर्देश पियूष सिंह ने दिये.

  • कोरोना मृत्यु को लेकर डॉक्टरों का दावा खारिज

कोरोना मरीजों की मृत्यु होने पर शासकीय व निजी डॉक्टर स्वयं को बचाते हुए मरीज पर ठिकरा फोड़ते हैं. मरीज बीमार पड़ने के बाद घर में ही मेडिकल से दवा लाकर आराम करते हैं, लेकिन जब बुखार ज्यादा बढ़ जाता है, तब अस्पताल में भर्ती होते हैं. इस समय मरीज का सीटीस्कैन स्कोर 15 से ज्यादा रहने का कारण डॉक्टर बताते हैं. लेकिन गुरुवार को हुई बैठक में विभागीय आयुक्त पियूष सिंह ने डॉक्टरों का दावा खारिज करते हुए उनके सबूत भी पेश किये. एक से दस दिनों में अस्पताल में भर्ती रहने वाले 100 मरीजों की कोरोना से मृत्यु हुई. इस मुद्दे पर आयुक्त ने प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का ध्यान खींचा. दस दिनों तक उपचार कराने के बाद भी मरीज की जान बचायी नहीं जा सकी, इसकी विफलता पर भी मुद्दा उठाया गया.

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