यवतमाल

यदि‘कबड्डी’ नहीं तो ‘पंगा’ कपास बीज की लिंकिंग

कृषि केंद्र चालको के अघोषित नियम

यवतमाल/ दि. 3- विदर्भ में 1 जून से कपास बीज बिक्री के लिए आ गए है. इसके साथ कृषि केंद्र चालकों ने अनेक अघोषित नियम लागू किए है. किंतु ये नियम सामने नहीं आए है. इसमें कबड्डी और पंगा जाति के कपास और बीज के लिए जोरदार फिल्डिंग देखने को मिल रही है.
इस बीज की ज्यादा मांग को ध्यान में रखकर विक्रेताओं ने नया फंडा बाजार में लाया है. विशिष्ट जाति के कपास बीजों की आवश्यकता हो तो पहले कपास का नया अन्य जाति का लेना ही पडेगा. अन्यथा खाद लेना पडेगा. इसकी शिकायत करना यानी किसानों की उधारी बंद करना है. जिसके कारण बिकट आर्थिक स्थिति में फंसे किसान शिकायत करने के लिए विक्रेताओं से पंगा लेंगे क्या, ऐसा सवाल उठा है.
गुलाबी बोंड इल्ली का मुकाबला करने के लिए राज्य शासन ने कपास के बीज 1 जून के बाद ही बिक्री करने की सूचना दी थी. उसनुसार बाजार में बीज बिक्री के लिए आए है. यह बीज बिक्री के लिए आने पर कंपनी अपना माल किसान खरीदे इसलिए विविध फंडे अपनाना शुरू किया है. उसमें विशेषकर कबडडी और पंगा इस बीजों की अधिक दर से बिक्री शुरू हुई है. 853 रूपये की 450 ग्रॅप की यह बैग 1100 से 1500 तक बेची जा रही है. किंतु बिल पर 853 रूपये की दर लिखी जाती है. अनेक कृषि सेवा केंद्र में यह प्रकार शुरू हुआ है.
कुछ कृषि चालको ने इन बीजों के बैग के साथ अन्य अपरिचित कपास बीजों के बैग लेने में सख्ती की है. कुछ विक्रेताओं ने इस वैरायटी के साथ कुछ खाद लेना अनिवार्य किया है. कंपनी ने बीज भेजते समय लिकिंग स्वरूप में भेजने से ऐसा होने का विक्रताओं का कहना है. इस प्रकार के कारण व्यापारियों की चांदी तथा किसानों की लूट हो रही है. तथा सबूत के अभाव में किसानों की लूट पर अंकुश लगाने का आव्हान कृषि विभाग के सामने खडा है.
कपास के बीजों की बैग पर 853 रूपये की किमत लिखने पर भी अनेक बीजों के बैग निर्धारित कीमत की अपेक्षा कम कीमत में बाजार में आए. किंतु प्रत्येक दुकान में विक्रेताओं की ओर से अधिक कीमत ली जाती है. कपास के बैग पर छपी कीमत की अपेक्षा कम दर में विक्रेताओं ने वह बैग मिलती है. उस बैग पर प्रत्येक को नफा मिलता है. फिर भी वे ज्यादा कीमत वसूल करते है. जिससे किसानों की लूट हो रही है. इस लूट को नियंत्रण में रखने की आवश्यकता निर्माण हो गई है.
लिकिंग बर्दाश्त नहीं की जायेगी. अगर ऐसा हो तो कृषि विभाग के टोल फ्री नंबर पर संपर्क करे अथवा संपर्क करके लिखित शिकायत देने पर कार्रवाई की जायेगी. नाम गोपनीय रखा जायेगा.

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