यवतमाल

गर्भलिंग परिक्षण यह केवल अपराध नहीं, तो महापाप

न्यायमूर्ति व्ही.एस. कुलकर्णी का प्रतिपादन

यवतमाल/दि.23– वैद्यकीय शास्त्र में सोनोग्राफी तंत्र का विकास गुणसूत्र विकृति, अनुवंशिक रोग, रक्तवाहिका संबंधित बीमारियां व जन्मजात विकृति का पता लगाने के लिए किया गया. लेकिन इस तंत्र का इस्तेमाल समाज द्बारा प्रसुती पूर्व गर्भलिंग निदान जैसे गलत कामों के लिए किया जा रहा है. गर्भलिंग परिक्षण यह केवल अपराध नहीं, तो महापाप है. ऐसे गैर कृत्यों पर नकेल कसने के लिए गर्भलिंग परिक्षण प्रतिबंध कानून लाया गया है. उसमें शिक्षा व जुर्माने का प्रावधान है, इसलिए गर्भलिंग परिक्षण करने से बचे, यह अपील जिला न्यायालय-1 के न्यायमूर्ति तथा विधि सेवा समिति के अध्यक्ष व्ही.एस. कुलकर्णी ने किया.
पुसद तहसील विधि सेवा समिति व वकील संघ के संयुक्त तत्वावधान में पुसद न्यायालय में ज्ञानदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में बाल विवाह कानून, पी. सी. एण्ड पी.एन.डी.टी. एक्ट पर मार्गदर्शन किया गया. बाल विवाह प्रतिबंध कानून पर न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि, यदि युवक की आयु 21 वर्ष व युवती की 18 वर्ष रही तो ही वें कानूनन विवाहक को पात्र है. लेकिन समाज में कई परंपराओं के चलते युवक-युवतियों के विवाह कम उम्र में किये जाते है. जिससे प्रसुती के समय जच्चा-बच्चा के मौत के मामले बढ गये है. बाल विवाह के चलते युवक-युवतियों का भविष्य बर्बाद होकर उनका करियर भी खत्म हो जाता है. कम उम्र में पारिवारिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना पडता है. इसलिए बाल विवाह प्रतिबंधक कानून का कडाई से पालन करने की सलाह भी उन्होंने दी. कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता सहदिवानी न्यायाधीश एन.जी. व्यास ने आसान भाषा में मार्गदर्शन कर प्रसुति पूर्व गर्भलिंग परिक्षण को गैर कानूनी बताया. प्रमुख वक्ता सहदिवानी न्यायमूर्ति व्ही.एस. मोरे ने बाल विवाह प्रतिबंधक कानून पर प्रकाश डाला.

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