यवतमाल

भारत ने दी विश्व को कपास की सौगात

कलंब के गृत्समद ऋषी ने की थी कपास की खोज

  • आज विश्व कपास दिन पर विशेष

यवतमाल/दि.7 – 7 अक्तूबर को विश्व कपास दिन संपूर्ण विश्वभर में मनाया जाता है. कपास भारत की ही देन है प्राचीन काल में भारत ने ही विश्व को कपास की सौगात दी थी. यवतमाल जिले का कलंब गांव प्राचीन चिंतामणी गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां के महर्षी गृत्समद ऋषी ने ही कपास की खोज की थी. जिसका उल्लेख पौराणिक ग्रंथ ऋग्वेद के दूसरे सुक्तपद में है. ऋग्वेद को भारत का प्राचीन ग्रंथ माना जाता है. जिसमें एक सुक्तपद गृत्समद के नाम पर है एक ऋषी पत्नी को देवराज इन्द्र से गृत्समद की उत्पत्ती हुई थी. गृत्समद ऋषी कुशाग्र बुद्धी का बालक था और उस पर भगवान गणेश की कृपा थी.
आचार्य विनोभा भावे ने गृत्समद ऋषी पर एक लेख भी लिखा था. गृत्समद ऋषी महाज्ञानी, कवि, गणितज्ञ, विज्ञानवेता व समाज सुधारक थे. ऐसा उल्लेख आयार्य विनोबा भावे ने अपने लेख में किया था. समुद्र की वाष्प से पंचजन्य निर्माण होता है यह पहली बार गृत्समद ऋषी ने ही कहा था. वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले विदर्भवासी गृत्समद स्वामी ने ही पहली बार प्रदेश में कपास की फसल का उत्पादन किया था. जिसका प्रमाण भी उन्होंने दिया है.
गृत्समद ऋषी के समय आश्रम में नैसर्गिक खेती की जाती थी. महर्षी गृत्समद कृषि में संशोधन किया करते थे. विदर्भ नाम की उत्पत्ती भी कृषि से संबंधित है. दर्भ नाम की एक घास जो की धारदार और जड है दर्भ जमीन में एक बार उग जाने पर दोबारा यह घास उगती नहीं यह उसके दुष्परिणाम है. दर्भ को नष्ट करने में गृत्समद ऋषी कि बडी भूमिका थी. उसमें से ही विगत: दर्भ: यस्मात स विदर्भ: यानि यहां से दर्भ पूर्णत: नष्ट हुआ व विदर्भ है. गृत्समद ऋषी ने ही उस समय कपास से सूत व सूत से बुनाई का काम लोगों को सिखाया. यवतमाल जिले के कलंब गांव से ही कपास व उसके सूत से बुनाई कर उसका उपायोग वस्त्र के लिए किया जाता है और उसकी उपयोगीता गृत्समद ऋषी ने उस समय समझायी थी.

Back to top button