कपास खरीदी के लिए पणन महासंघ को चाहिए 3 हजार करोड
पणन महासंघ ने किया 50 खरीदी केंद्रों का नियोजन
यवतमाल/दि.25 – हर साल कपास पणन महासंघ व्दारा सीसीआय के सब एजेंट के रुप में कपास की खरीदी की जाती है. किंतु इस साल कपास खरीदी को सीसीआय व्दारा नकार दिए जाने पर पणन महासंघ को स्वयं कपास खरीदी की तैयारी करनी पड रही है. ऐसी स्थिति में कपास खरीदी के लिए पणन महासंघ के पास पैसा नहीं है. कपास खरीदी के शासकीय केंद्र शुरु करने के लिए 3 हजार करोड रुपए की आवश्यकता है. इसके लिए राज्य सरकार की मंजूरी आवश्यक है. किंतु पणन महासंघ व्दारा मंजूरी नहीं लिए जाने पर पणन महासंघ को कपास खरीदी केंद्र शुरु किए जाने में दिक्कतें आ रही है.
पणन महासंघ ने कपास खरीदी के लिए 50 खरीदी केंद्र का नियोजन किया है. इस साल खुले बाजार में कपास को समर्थन मूल्य की अपेक्षा ज्यादा दाम है. इसकी वजह से पणन महासंघ के पास किसानों व्दारा कपास नहीं लाया जाएगा. खुले बाजारों से कपास की खरीदी करना हो तो अधिक पैसा लगेगा. आगे कपास के दाम गिरे तो उसकी नुकसान भरपाई कौन करेंगा ऐसा भी प्रश्न उपत्पन्न हो रहा है.
राज्य सरकार पर अवलंबन शासकीय कपास खरीदी
सीसीआय व्दारा खरीदी को लेकर हाथ ऊपर किए जाने पर अब राज्य सरकार की भूमिका पर शासकीय कपास खरीदी का भविष्य अवलंबन है. पणनमंत्री को इस संदर्भ में सभी दिक्कतों से अवगत करवा दिया गया है किंतु अब तक निर्णय नहीं लिया गया. जिसकी वजह से कपास खरीदी केंद्र शुरु होंगे या नहीं कहा नहीं जा सकता.
– अनंतराव देशमुख, अध्यक्ष कपास पणन महासंघ
दक्षिण लॉबी होगी हावी
साल 2010 में कपास को 7 से 8 हजार रुपए के दाम दिए गए थे. इस स्थिति में दक्षिण लॉबी के दबाव के चलते उस साल कपास निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. कपास की गांठे आयात की गई थी. बाजारों में कपास के दाम भी नीचे आ गए थे और यह दाम 4 हजार रुपए से भी नीचे आ गए थे. सोयाबीन व तुअर के दाम बढने पर बाजार में तुअर व सोयाबीन आयात किया गया था. तुअर व सोयाबीन का उत्पन्न निकलने के पश्चात फिर दाम घसर गए. अब तक के अनुभव को देखकर कपास खरीदी को लेकर भी धोखा अधिक है. ऐसी स्थिति में हर हरदम की तरह दक्षिण लॉबी केंद्र पर हावी होने की संभावना है.