यवतमाल/दि.6– एकाधिकार योजना हो अथवा सीसीआय का सब एजंट के रुप में कपास खरीदना हो, पणन की कपास खरीदी निश्चित होती थी. इस वर्ष पहली बार पणन कपास खरीदी का शुभारंभ नहीं कर सका. इसके लिए सीसीआय का नकार व सरकार की ओर से कपास खरीदी के लिए न मिलने वाली अनुमति कारण बनी है. इस कारण भविष्य में पणन के अस्तित्व पर ही प्रश्न निर्माण होने वाला है.
किसानों से हक की शासकीय यंत्रणा के रुप में पणन के कपास खरीदी की ओर देखते हुए एकाधिकार योजना संपुष्ट में आने से बाद नाफेड की सब एजन्सी के रुप में पणन महासंघ ने हमी भाव में राज्य में कपास खरीदने की शुरुआत की. यह कपास खरीदते समय अनेक बार शुभारंभ के बाद पणन को कपास नहीं मिला. ऐसा प्रकार घटा. लेकिन 2021 में पणन महासंघ कपास का शुभारंभ ही नहीं कर सका. पेच हल करने के लिए पणन अध्यक्ष ने केंद्र शासन से अनुमति मांगी थी. लेकिन केंद्र शासन ने ऐसी खरीदी को अनुमति नहीं दी. तो दूसरी ओर राज्य शासन ने कपास खरीदी के लिए आर्थिक रुप में मदद नहीं की. कपास का 70 प्रतिशत मौसम खत्म होने में है. इस कारण इस वर्ष पणन का कपास खरीदी का शुभारंभ नहीं हुआ.
केंद्र शासन की एजन्सी के रुप में संपूर्ण देशभर में सीसीआय कपास खरीदता है. इस वर्ष सीसीआय दिसंबर आखिर से खुले बाजार मसे कपास खरीदी का शुभारंभ करेगा. सरकारी मिल को 8 से 9 लाख कपास गांठों का निर्यात करने वाला है. इसके लिए सीसीआय देशभड़ से 500 लाख क्विंटल कपास की खरीदी करने वाला है.
सीसीआय खले बाजार से कपास खरीदी करेगा. सीसीआय नियमित ग्राहकों को कपास की गांठों की आपूर्ति करेगा. फिलहाल बाजार तेज है, दिसंबर आखित तक दाम नियंत्रण में आने का अनुमान है. दिसंबर आखिर से सीसीआय कपास खरीदी का शुभारंभ करेगा.
– प्रदीप अग्रवाल, सीसीआय, अध्यक्ष.