* केवल पांच लाख यात्रियों के पास यूपीआई पेमेंट
यवतमाल/दि.11– स्पर्धा के युग में लालपरी का अस्तित्व बचाया जा सके इसके लिए शासन व राज्य परिवहन महामंडल विविध योजना चला रहा है. चार महिने पूर्व टिकट के पैसे ऑनलाइन देने के लिए ऐसी प्रणाली विकसित की गई थी.मगर इस उपक्रम का ऑर्डनरी सफर होता हुआ दिखाई दे रहा है.
एसटी में पूर्व वाहकों के हाथों में टिकट का ट्रे नजर आता था. वाहक टिकट फाडते हुए टीक-टीक ऐसी आवाज कानों में सुनाई देती थी. समय के साथ महामंडल ने मशीन व्दारा यात्रियों की टिकट देने की प्रणाली विकसीत की. अनेक वर्ष से मशीन व्दारा यात्रियों को टिकट दिए जाते है. इस दौरान सभी ओर यूपीआई पेमेंट व्दारा व्यवहार बढा है. एसटी बस में छुट्टे पैसे के लिए भी कई बार वाहक व यात्रियों में वाद होता रहता था. इसी तरह ऑनलाइन व्यवहार के कारण हिसाब भी सही तरीके से होता है. जिसके कारण राज्य परिवाहन महामंडल व्दारा दिसंबर 2013 से टिकट की मशीन अपडेट कर उसमें यूपीआई पेमेंट स्वीकार करने की व्यवस्था की है. गांव जहां वहां एसटी पहुंची है. जिसके कारण हर रोज एसटी व्दारा प्रवास करने के लिए यात्री संख्या लाखों में बढ रही है. इसकी तुलना में कैशलेश व्यवहार की गती मंद गति से दिखाई दे रही है. हर स्थान पर पहले 10 व पांच रुपये ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से अदा करने वाले नागरिक सिर्फ एसटी के ऑनलाइन व्यवहार को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं दिखाई दे रहा है. दिसंबर 2023 से मार्च 2024 इन चार महिने के कालावधी में पांच लाख 14 हजार 688 टिकट को दर्ज किया गया है. जिसके चलते यह रकम केवल 14 करोड 91 लाख 31 हजार हजार 660 रुपये है. जिसके कारण एसटी महामंडल के कैशलेश व्यवहार की गती बढाने के लिए सुपर फास्ट प्रयत्न किए जाने चाहिए.
एसटी के चार महिने का व्यवहार
दिसंबर 2023 को 66 हजार 78 टिकट से एक करोड 81 लाख 23 हजार 300 रुपये, जनवरी 2024 को एक लाख 9 हजार 495 टिकट से तीन करोड 12 लाख 87 हजार 187 रुपये, फरवरी को एक लाख 33 हजार 154 टिकट से चार करोड 10 लाख 70 हजार 386 व मार्च महिने में दो लाख पांच हजार 961 टिकट से पांच करोड 86 लाख 50 हजार 787 रुपये ऐसे कुल पांच लाख 14 हजार 688 टिकट से 14 करोड 91 लाख 31 हजार 660 रुपयों का ऑनलाइन व्यवहार यात्रियों ने एसटी महामंडल से किया है. अप्रैल महिने की आकडेवारी सिर्फ उपलब्ध नहीं हुई है.
वाहक कहते है ‘नो-रिस्क’
एसटी के अनेक प्रवासी यूपीआई पेमेंट कर टिकट लेने के लिए इच्छुक रहते है. मगर बहुत से वाहक नगद रकम देकर टिकट ले. ऐसा यात्रियों आग्रह करते है. यात्रा दौरान कहीं रेंज न रहने व इस समय बस की पथक व्दारा चेकिंग होती है तो टिकट क्यों फाडा नहीं? कहते हुए कार्रवाई होती है. ऐसा डर अनेक वाहकों में है. जिसके कारण ‘नो-रिस्क’ कहते हुए बहुत से वाहक ऑनलाइन पेमेंट को नकार देते है.