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पदाधिकारी कर रहे नजर अंदाज
यवतमाल प्रतिनिधि/दि.२३ – जिले के दारव्हा तहसील के १४८ गांव के हजारों संख्या मेें रहनेवाले पशुओं का स्वास्थ्य केवल गिने-चुने पशुधन पर्यवेक्षको के भरोसे पर ही है. इसलिए पशुओं की सेहत खतरे में पड़ गई है. इन दिनों तहसील में लंपी स्कीन डीसीज का प्रकोप पशुओं पर हो रहा है. जिससे पशुपालको की चिंता बढ़ गई है. लंपी स्कीन डीसीज प्रकोप से निपटने के लिए पशुधन पर्यवेक्षको की टीम लगाना आवश्यक होने पर भी अधिकांश जगह पर अधिकारियों के पद भरे नहीं जा रहे है. जिला परिषद के पदाधिकारयिों का केवल अपनी तहसीलों पर ही ध्यान हैे. जिससे रोष बढ़ता जा रहा है.
यहां के पंचायत समिति अंतर्गत पशु संवर्धन विभाग दारव्हा, बोरी, लोही में पशुधन विकास अधिकारी, लालखेड़ व सायखेड़ में सहायक पशुधन विकास अधिकारी और पेकर्डा, तलेगांव, खोपड़ी, भांडेगांव, चिखली, बोदेगांव और पिंपलखुटा में अधिकारी और कर्मचारियों के पद मंजूर है. बोरी, लोही श्रेणी-१, सायखेड़ा व लालखेड़ा के श्रेणी-२ और १५ गांव में पशु वैद्यकीय अस्पताल है. प्रत्येक अस्पताल से ७ से ८ गांव जोड़े गये है. यह यंत्रणा बीते अनेक वर्षो से कार्यरत है. हालिया दौर में पशुओं की बीमारियो में बड़े पैमाने पर इजाफा हो रहा है. विषबाधा के अलावा अन्य बीमारियों से सैकड़ों पशुओं की जान जा रही है. इसके अलावा खेतीपरक व्यवसाय के रूप में पशुपालन व्यवसाय करनेवाले को आवाहन किया जा रहा है. बावजूद इसके तहसील के पशु अस्पतालों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. बीमार पशुओं को १० किमी अंतर पर स्थित अस्पतालों में उपचार के लिए ले जाने की नौबत पशु पालको पर आ रही है. इसके अलावा परत व्यवसायों को प्रोत्साहन भी नहीं मिल रहा है. तहसील में लंपी स्कीन बीमारी का प्रकोप बढा़ गया है. इस स्थिति मेें प्रत्येक गांव में पशुओं पर उपचार और बीमारी का प्रकोप न हो इसके लिए जनजागृति की आवश्यकता है. लेकिन यंत्रणा काफी कम होने से प्रयास होते हुए नहीं दिखाई दे रहा है. इसके अलावा अधिकारियों के रिक्त पद भी नहीं भरे जा रहे है. दारव्हा मुख्यालय के अलावा सायखेड़ के सहायक पशुधन विकास अधिकारी व कुछ पशुधन पर्यवेक्षको के पद भी रिक्त है. लंपी स्कीन महामारी को देखते हुए यह सभी पद भरना आवश्यक है.