* प्लॉट बिक्री का ऑनलाइन विज्ञापन देखकर नागपुर से गए थे यवतमाल
यवतमाल/ दि.3– धोखाधडी के लिए कोई कैसा फंडा अपनायेगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. यवतमाल का 900 स्क्वेअर फीट प्लॉट बेचने के लिए ऑनलाइन वेबसाइड पर विज्ञापन दिया गया. वह देखकर नागपुर के दो खरीददार यवतमाल पहुंचे. उन्होंने 900 रुपए प्रति स्क्वेअर फीट का प्लॉट हजार रुपए के दाम में खरीदा, 2 लाख रुपए का चेक दिया. खरीददार के साथी एजंट ने 70 हजार रुपए नगद कमिशन ले लिया. बाद में वह चेक बैंक से विड्राल ही नहीं हुआ. धोखाधडी होने की बात समझ में आने पर अवधुतवाडी पुलिस थाने में अपराध दर्ज किया है.
विश्वनाथ तुकाराम पराते (राउत ले-आउट, बोरीअरब) का यवतमाल के लोहारा परिसर स्थित सप्तश्रृंगी नगर में बिक्री के लिए प्लॉट था. पराते के बेटे ने प्लॉट बेचने का विज्ञापन वेबसाइड पर डाला. वह विज्ञापन देखकर नागपुर के बंडू मानकर उर्फ प्रकाश बापूरावजी मनवर और अश्विन सिध्दार्थ लांडगे ने संपर्क साधा. इसके बाद दोनों यवतमाल पहुंचे. बंडू मानकर एजंट बनकर और अश्विन लाडगे ग्राहक बनकर मिला. एजंट बंडू मानकर ने विश्वनाथ पराते को उनका प्लॉट हजार रुपए के भाव से बेच देने का कहते हुए उसपर उपर के 100 रुपए कमिशन के लगेंगे, ऐसा प्रस्ताव रखा. लालच में आकर पराते से सहमति दर्शाई. इसके बाद खरीददार बनकर गए अश्विन ने दोनों प्लॉट खरीदने की तैयारी दर्शाई. प्लॉट के दस्तावेजों की झेरॉक्स भी ली. बयाना चिठ्ठी की रकम के रुप में 2 लाख रुपए का चेक पराते को दिया. इसके बाद एजंट बंडू मानकर ने अपने कमिशन की रकम मांगी. 70 हजार रुपए लेने के बाद दोनों वहां से चले गए. पराते ने वह 2 लाख रुपयों का चेक पत्नी के बैंक खाते में डालकर भुनाने की कोशिश की, मगर चेक नकली था. दोनों से संपर्क साधने पर वे गुमराह करने लगे. इसके बाद दोनों के खिलाफ अवधुतवाडी पुलिस थाने में दी शिकायत के आधार पर दफा 420, 34 के तहत अपराध दर्ज किया. जांच में पता चला कि बंडू मानकर ने नागपुर में कई लोगों को चुना लगाया है, उसका असली नाम प्रकाश बापुराव मनवर है. पुलिस दोनों आरोपियों की तलाश कर रही है.
बोरीअरब मूलगांव जाकर दिये 70 हजार रुपए
पराते ने उनके मूलगांव बोरीअरब ले जाकर बंडू मानकर को 70 हजार रुपए नगद दिये. नागपुर से आये दोनों रुपए लेने के बाद वहां से खिसक गए. 27 मई को 2 लाख रुपए का चेक पराते ने पत्नी के नाम पर रहने वाले बैंक खाते में डालकर भुनाने की कोशिश की. मगर वह चेक बाउंस हो गया. दोनों आरोपियों से संपर्क साधने पर वे सही ढंग से जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझ रहे थे. धोखाधडी की बात समझ आने पर आखिर पुलिस थाने की शरण ली.