कुमारीमाताओं के रोजगाराभिमुख पुनवर्सन को प्रधानता : एड. ठाकूर
यवतमाल में महिला व बालभवन सहित कोरोना पर समीक्षा
यवतमाल/दि.24 – जिले के आदिवासी बहुल तहसील की कुमारी माताओं के पुनर्वसन का प्रश्न अनेक वर्षों से प्रलंबित है. इन माताओं को विविध योजनाओं का लाभ देकर सामाजिक, आर्थिक व शारीरिक दृष्टि से सक्षम बनाने के लिये उनका रोजगाराभिमुख पुनर्वसन किया जाये, ऐसे आदेश राज्य की महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमती ठाकूर ने दिये.
जिलाधिकारी कार्यालय में महिला व बालभवन तथा कुमारी माताओं के पुनर्वसन के संदर्भ में समीक्षा लेते समय वे बोल रही थी. इस समय विधायक इंद्रनील नाईक, जिलाधिकारी एम.देवेन्द्रसिंह, सीईओ डॉ. श्रीकृष्ण पांचाल,पुलिस अधीक्षक डॉ.दिलीप पाटील भुजबल, सहायक जिलाधिकारी विवेक जॉन्सन,महिला व बालकल्याण के डेप्युटी सीईओ विशाल जाधव, महिला व बालविकास अधिकारी ज्योती कडू, महिला आर्थिक विकास महामंडल के जिला व्यवस्थापक डॉ. रंजन वानखडे, जिला बैंक के अध्यक्ष टिकाराम कोंगरे, उपाध्यक्ष संजय दरेकर, मुंबई बाजार समिति संचालक प्रवीण देशमुख आदि उपस्थित थे.
कुमारी माताओं को बालसंगोपन योजना, मनोधैर्य योजना व महिला बचत गटों व्दारा योजनाओं का लाभ मिलने के बाद उन के सामाजिक व आर्थिक जीवन में बदलाव हुआ क्या? इस बारे में पूछताछ कर डॉ. यशोमती ठाकूर ने कहा कि इन माताओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाना आवश्यक है. 2014 से यह प्रश्न प्रलंबित है. इस पर अत्यंत धीमी गति से काम शुरु रहने की नाराजी भी उन्होंने व्यक्त की. जिले की महिला व बालभवन के लिये 5 करोड़ मंजूर किये गये फिर भी पहले चरण में एक करोड़ उपलब्ध हुए. इस कारण इमारत की उत्कृष्ट डिजाइन तैयार कर दर्जेदार इमारत खड़ी करने के निर्देश उन्होंने दिये.
जिले में 91 कुमारीमाता
जिले में 91 कुमारीमाता होने का पंजीयन प्रशासन के पास है. इसमें सर्वाधिक 30 माताए झरी तहसील में है. 18 वर्ष से अधिक आयु वाली इन माताओं के पुनर्वसन के लिये नोडल अधिकारी नियुक्त किये जाने की बात एड. यशोमती ठाकूर ने कही. सामाजिक न्याय भवन की जमीन पर जिले में महिला व बालभवन तैयार होगा. इसमें हिरकणी कक्ष, अभ्यागत कक्ष, महिला बचतगटों के लिये कक्ष, सभागृह आदि की निर्मिति होने की जानकारी उन्होंने दी.