नेशनल लॉ यूर्निवसिटी में एससी,एसटी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ती
मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने दिए आदेश
यवतमाल/दि.22 – अनुसूचित जाति तथा जमाती के विद्यार्थियों को महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूर्निवसिटी में फ्री-शीप व छात्रवृत्ती दी जाए, ऐसे आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने दिए है. तीन विद्यार्थियों द्बारा इस विषय को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें न्यायाधीश एन.एस. गंगापुरवाला तथा न्यायाधीश श्रीकांत कुलकर्णी ने यह निर्णय दिया. जिसकी वजह से मुंबई, नागपुर तथा औरंगाबाद के एमएनएलयू में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को राहत प्राप्त होगी.
एमएनएलयू में विधि शिक्षण लेना प्रतिष्ठा की बात मानी जाती है. 12 वीं के पश्चात पांच साल का समय विधि शिक्षण में लगता है. शिक्षा के लिए संस्था में क्लेट के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है. इस विषय में मुंबई यहां 2015, नागपुर 2016 तथा औरंगाबाद में 2017 में शिक्षण शुरु किया गया है. इस संस्था में प्रवेश लेने हेतु काफी मशक्कत करनी पडती है. प्रत्येक यूर्निवसीटी में हर साल कम से कम 100 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है.
प्रत्येक विद्यार्थी डेढ से दो लाख रुपए शुल्क के स्वरुप में लिया जाता है. इसके अलावा किसी प्रकार की छात्रवृत्ति नहीं दी जाती. अनुसूचित जाति व जमाती के विद्यार्थियों को भी उनके अधिकारों से वंचित रखा गया था. एमएनएलयू में फ्री-शीप व छात्रवृत्ती मिले इसलिए अनिकेत राजेंद्र सावंत सहित तीन विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में राज्य सरकार व संबंधित विभाग के खिलाफ याचिका दाखल की थी. जिसमें 18 मार्च को निर्णय दिया गया जिसमें एससी, एसटी के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ती व फ्री-शीप देने के आदेश दिए गए.