यवतमाल/दि.25 – महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण में कार्यरत तथा सेवानिवृत्त इस प्रकार से 15 हजार कर्मचारी सातवे वेतन आयोग से वंचित है. जिसमें इन कर्मचारियों ने न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. याचिका पर एक महीने के भीतर संबंधित विभाग से न्यायालय ने आदेश दिए है. मजीप्रा कर्मचारियों के विरोध के बाद भी शासन ने मजीप्रा मंडल की निर्मिती की. मंडल में रुपांतर हुए कर्मचारियों के भत्ते व देयक मजीप्रा के पास आने के बाद भी यह दिए नहीं गए, ऐसा अनुभव मजीप्रा कर्मचारियो को आया.
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पाचवा वेतन आयोग लागू नहीं किया गया था. दो वर्षो की प्रतीक्षा के बाद 2000 में मुंबई न्यायालय में याचिका दायर करने के पश्चात न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद सेवानिवृत्तों को पाचवा वेतन आयोग लागू किया गया. इसके बाद पाचवा, छटवा वेतन आयोग भी कर्मचारियों को लागू हुआ. किंतु सातवा वेतन आयोग फिर रोक लिया गया ऐसा आरोप कर्मचारियों द्वारा लगाया जा रहा है. मजीप्रा को सातवा वेतन आयोग लागू किए जाने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठना पुणे ने वेतन आयोग के संदर्भ में मुख्यमंत्री से लेकर विविध विभागों को 22 पत्र लिखे.
किंतु पत्रव्यवहार करने के बावजूद भी पत्रों की दखल नहीं ली गई. जलापूर्ति विभाग व मंत्री द्वारा दो सप्ताह के भीतर सातवा वेतन आयोग पर कार्रवाई होगी ऐसा कहा था, किंतु उस बात को एक साल बीत गया है. जिसमें 30 कर्मचारियों ने वेतन आयोग के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. याचिका पर 1 दिसंबर 2012 को सुनवाई की गई. एक महीने के भीतर जवाब देने का आदेश भी दिया गया था. इस मामले में मजीप्रा कर्मचारियों की ओर से एड. प्रकाश मेघे ने पैरवी की थी.