* ब्रिटीश काल में स्थापित की गई थी रेल्वे लाइन
यवतमाल/ दि.27 – यवतमाल सहित विदर्भवासियों की शकुंतला रेल्वे लाइन को पुर्नजीवित करने का प्रश्न अब भी कायम ही है. 108 साल पूर्व इस ऐतिहासिक रेल्वे लाइन को ब्रॉडगेज में रुपातंर कर उसे विकसित करने 4 साल पूर्व हलचल शुरु की गई थी. साल 2017-18 में मध्य रेल्वे के पिंकबुक में भी रेल्वे लाइन के कामों को मान्यता दी गई थी. किंतु राजकीय इच्छाशक्ति के अभाव की वजह से प्रकल्प का काम नहीं हो सका.
ब्रिटीशकाल में 1857 में ब्रिटिश कंपनी क्लिक निक्सन व्दारा शकुंतला रेल्वे लाइन का काम हाथ में लिया गया था और 1909 में सर्वे किया गया था. उसके पश्चात आगामी 4 सालोें में पटरी व पुलों का काम किए जाने के पश्चात इस रेल्वे लाइन का 29 दिसंबर 1913 में अंतिम परीक्षण किया गया था. 1 जनवरी 1913 को यवतमाल, मूर्तिजापुर इस रेल्वे लाइन पर 113 किमी नॅरोगेज मार्ग पर पहली यातायात ट्रेन चलायी गई. 4 घंटे में शकुंतला ट्रेन ने 113 किमी की दूरी तय की.
एक साल के पश्चात इस मार्ग पर पैसेंजर ट्रेन चलायी गई और यह ट्रेन आगे चलकर शकुंतला के नाम से प्रसिद्ध हुई. यवतमाल व विदर्भ से कपास की गांठ इस ट्रेन से ले जायी गई. विदर्भ का कपास मँचेस्टर पहुंचाने के लिए अंग्रेजोें ने इस ट्रेन की शुरुआत की थी. इस ट्रेन व्दारा विदर्भ का कपास मुंबई तक पहुंचाया जाता था व उसके पश्चात आगे जहाज के व्दारा इंग्लैंड पहुंचाया जाता था. शुुरु में यह ट्रेन स्टीम इंजन से चलती थी, उसके पश्चात 1994 में स्टीम इंजन की जगह डीजल इंजन लगाया गया. साल 2016 में शकुंतला ब्रिटिश सरकार से मुक्त हुई और कुछ महीनों पश्चात बंद भी हो गई. इस नॅरोगेज को ब्रॉडगेज में परिवर्तन कर शुरु किए जाने की मांग यवतमालवासियों व्दारा की जा रही है.
2018-19 के बजट में थी प्रावधान की अपेक्षा
शकुंतला नॅरोगेज रेल्वे लाइन का ब्रॉडगेज में परिवर्तन किए जाने व रेल मार्ग को विस्तारित किए जाने के लिए सर्वे के पश्चात मान्यता दी गई थी. जिसके अनुसार साल 2017-18 में प्रकल्पका रेल्वे की पिंकबुक में भी समावेश किया गया था. केंद्र व राज्य सरकार ने शकुंतला को विकसित किए जाने के लिए आर्थिक योगदान देने की भी तैयारी दर्शायी थी. साल 2018-19 के बजट में आर्थिक प्रावधान की अपेक्षा थी किंतु तब वह प्रस्ताव पारित न हो सका. उसके पश्चात कोरोना महामारी के चलते शकुंतला का विषय धरा रह गया.