यवतमाल/प्रतिनिधि दि.१ – इस वर्ष खरीफ मौसम में जिले को 30 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता है. इसमें महाबीज का 20 फीसदी सहयोग यानि 3 लाख क्विंटल का है. बावजूद इसके महाबीज केवल 2 लाख 5 हजार क्विंटल बीज राज्य को मुहैया कराएगी. इसलिए अन्य बीजों के लिए किसानों को राज्य की निजी कंपनियों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा. इन कंपनियों के बीज प्रति बैग डेढ़ हजार से महंगे है. जिससे किसानों की आर्थिक लूट होने की संभावना बढ़ गई है.
यहां बता दें कि प्रति वर्ष राज्य को सोयाबीन के 30 लाख क्विंटल से अधिक बीज लगते हैं. कपास का क्षेत्र घटने से इस वर्ष बीज की डिमांड और बढ़ेगी. बाजार में पर्याप्त बीज उपलब्ध नहीं रहने की गंभीर स्थिति है. वापसी की बारिश ने सभी कंपनियों के सोयाबीन प्लॉट फेल पड़ गये हैं. सीमित बीज उपलब्ध है. यही कारण बताते हुए बीज कंपनियों ने सोयाबीन की एक बैग की कीमत 30 किलो के हिसाब से डेढ़ हजार रुपए तक बढ़ा दिये है. इस हालात में सरकारी कंपनी के रुप में काम संभालने वाले महाबीज कंपनी पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी बढ़ गई है. यह कंपनी 30 फीसदी सोयाबीन बीज बाजार में प्रति वर्ष उपलब्ध कराती है. लेकिन वापसी की बारिश से बीज के कुछ प्लॉट फेल पड़ गये. जिसमें ढाई लाख क्विटल बीज खराब हो गये. कंपनी के पास केवल 2 लाख 5 हजार क्विंटल बेहतर किस्म के बीज उपलब्ध है. डिमांड की तुलना में केवल 20 फीसदी है और यहीं बीज महाबीज ने बाजार में उपलब्ध कराकर दिये हैं. 80 फीसदी किसानों को निजी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ेगा.