जादूटोना के संदेह पर भाभी की हत्या, पूरा परिवार ही जेल गया
उमरखेड तहसील के चार को उम्रकैद की सजा
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पांच साल पहले घटीत हुआ था हत्याकांड
यवतमाल प्रतिनिधि/दि.3 – बडे भाई की पत्नी जादूटोना, करनी करती है, इस संदेह पर देवर ने परिवार की मदत से भाभी की हत्या की. पांच साल पूर्व की इस घटना में कल मंगलवार को स्थानीय जिला व सत्र न्यायाधीश एस.व्ही.गावंडे ने चार लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई. जयानंद धबाले, आशाबाई धबाले, किरण धबाले व निरंजन धबाले (सभी तरोडा, तहसील उमरखेड निवासी) यह आरोपियों के नाम है.
मृतक सुनंदाबाई यह आंगणवाडी सेविका थी. पति के निधन के बाद वह तरोडा में आरोपियों के घर के सामने ही रहती थी. उसका एक बेटा सेना में नौकरी पर है और दूसरा बेटा स्पर्धा परीक्षा की तैयारी के लिए पुणे में रहता था. सुनंदा सात वर्ष की नातू के सात अकेले ही रहती थी किंतु आरोपी जयानंद का परिवार रोज मजदूरी कर जीता था. दोनों परिवार में आर्थिक स्थिति के चलते विवाद का माहौल था. सुनंदा ने करनी करने से अपनी प्रगती नहीं होती, ऐसा जयानंद की पत्नी आशाबाई को लगता था. इसके अलावा सुनंदा व्दारा करनी करने से ही वह हमेशा बीमार पडती है, ऐसा उसे संदेह था. इसी बात पर उनमें हमेशा विवाद होता था. सुनंदाबाई का बेटा यह मामला लेकर तंटामुक्ति समिति के पास भी गया था किंतु 1 मई 2015 को आरोपियों ने सुनंदा के घर जाकर कुल्हाडी से वार कर उसकी हत्या की. इस मामले में किशोर ढबाले ने पोफाली पुलिस में शिकायत दर्ज की थी. एपीआई एस.एम.भडीकर, एस.ए.ठाकुर ने न्यायालय में अभियोग पत्र दाखिल किया. कुल मिलाकर 10 गवाह और प्रत्यक्षदर्शी का बयान लिया गया.
गुन्हा सिध्द होने से जिला व सत्र न्यायाधीश एस.बी.गावंडे ने भादंवि की धारा 302 के तहत उम्रकैद, धारा 452 के तहत 2 वर्ष की कैद व प्रति 500 रुपए जुर्माना, जुर्माना न भरने पर अतिरिक्त एक महिने की सश्रम कैद सुनाई. इस मुकदमे में सरकार की ओर से एड.महेश निर्मल ने दलीले दी. जबकि हेड काँस्टेबल दिलीप राठोड, राहुल मार्केंडे ने पैरवी अधिकारी के रुप में काम देखा.
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सात वर्ष के सार्थक की गवाह महत्वपूर्ण
सुनंदाबाई को आरोपी जब कुल्हाडी से मार रहे थे तब उसका सात वर्ष के नातू सार्थक ने समूचा घटनाक्रम देखा. प्रत्यक्षदर्शी के रुप में उसकी गवाही इस मुकदमें में महत्वपूर्ण रही.