यवतमाल

राजस्व विभाग की लापरवाही आदिवासियों को पडी भारी

न्यायालय में 8 हजार जातिय प्रमाणपत्र प्रलंबित

यवतमाल/ दि.4– राजस्व विभाग की लेटलतिफी के चलते राज्यभर में हजारों जातिय प्रमाणपत्र गलत तरीके से दिए गए. सालभर में लगभग 8 हजार प्रमाणपत्र जांच पडताल समिति व्दारा खरीज कर दिए गए. जिसमें संबंधितों व्दारा न्यायालय में याचिका दायर की गई. न्यायालय व्दारा 5399 प्रमाणपत्रों पर पुन: विचार करने के निर्देश जांच पडताल समिति को दिए गए. अब भी 3016 प्रमाणपत्रों के संदर्भ में निर्णय प्रलंबित है.
राज्य के औरंगाबाद, अमरावती, नागपुर, गडचिरोली, नंदूरबार, नासिक, पुणे व ठाणे इन आठ जिलों में स्थित अनुसूचित जमाति जांच पडताल समिति व्दारा सालभर में 8 हजार जातिय प्रमाणपत्रों को अवैध ठहराया गया. जिसके चलते संबंधितों ने उच्च न्यायालय की मुंबई, नागपुर व औरंगाबाद खंडपीठ सहित सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की. प्रमाणत्रों की समीक्षा किए जाने के पश्चात जून 2021 के अंत में न्यायालय व्दारा 53,99 प्रमाणपत्रों पर पुन: विचार किए जाने की सिफारिश जांच पडताल समिति से की गई.
3016 मामले अब भी प्रलंबित है. जिसमें प्रमाणपत्र निर्गमित किए जाने को लेकर राजस्व विभाग व्दारा अनदेखी की जा रही है ऐसा आरोप ऑल इंडिया आदिवासी एमप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रा. मधुकर उईके ने लगाया. उन्होंने कहा कि हजारों गैर आदिवासी अनुसूचित जातियों के प्रमाणपत्र में लेट लतिफि का फायदा उठा रहे है. पिछले दो सालों से समिति की ओर दाखिल याचिकाएं प्रलंबित रखने का प्रयास किया जा रहा है. प्रमाणपत्र अवैध कराने के पश्चात बार-बार न्यायालय में जाने की नौबत आ रही है. प्रलंबित याचिका पर तत्काल निर्णय दिया जाए ऐसी मांग ऑल इंडिया आदिवासी एमप्लाइज फेडरेशन व्दारा की गई.
20 सालों में एक भी कार्रवाई नहीं
अनुसूचित जमाति के प्रमाणपत्र अवैध ठहराने के पश्चात प्रमाणपत्र वितरित करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करना आवश्यक होता है किंतु पिछले 20 सालों में बोगस जाति प्रमाणपत्र के मामलों में एक भी कार्रवाई नहीं की गई.

न्यायालय में प्रलंबित समिति निहाय प्रमाणपत्र

समिति पुर्नविचार के निर्देश प्रलंबित प्रमाणपत्र
अमरावती 364 173
औरंगाबाद 4732 1292
गडचिरोली 13 133
नागपुर 4 373
नंदूरबार 10 465
नासिक 201 159
पुणे 62 291
ठाणे 13 130
कुल 5399 3016

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