जामवाडी-वारजई की समस्या ग्राम विकास मंत्री के सामने रखी
दोनों गांव संयुक्त करने के लिए गुरूदेव की पहल
यवतमाल/दि.24– वारजई और जामवाडी ये दो गांव संयुक्त हो इसके लिए विगत तीन वर्षो से गुरूदेव संघ जिला प्रशासन से संवैधानिक रूप से पहल कर रही है. परंतु जिला प्रशासन की ओर से अपेक्षित दखल नहीं लिए जाने से गुरूदेव संघ के अध्यक्ष मनोज गेडाम ने ग्राम विकास मंत्री गिरीश महाजन के सामने यह गांव की समस्या रखी. दो गांव एकत्र होने से सर्वांगीण विकास हो सकता है, ऐसी जानकारी उन्होंने अपने निवेदन में दी.
जामवाडी और वारजई यह दो गांव है. इसमें से जामवाडी यह यवतमाल तथा वारजई यह दारव्हा तहसील में आते है. ये दोनों गांवों को संयुक्त करने के लिए गुरूदेव संघ के अध्यक्ष मनोज गेडाम ये विगत तीन वर्षो से जिला प्रशासन से प्रयास कर रहे है. परंतु उनके प्रयासों की दखल न लिए जाने से विकास मंत्री महाजन की भेंट ली.
यवतमाल तहसील के जामवाडी ये एक पर्यटन स्थल है. यवतमाल शहर से वे 10 किमी दूरी पर है. इस गांव में आदिवासी व अन्य समाज बांधव निवास कर रहे है. इस गांव में अभी तक एक भी कोलाम व अन्य आदिवासी समाज को घरकुल, रस्ते, बिजली के खंबे आदि मुलभूत सुविधा नहीं मिली. ऐसा गेडाम का कहना है. इसके साथ ही वारजई ये गांव निकट होने पर भी दारव्हा तहसील को मोडता है. केवल उस गांव का संतोषजनक विकास होने का दिखाई देता है. किंतु एक ही गांव की उपेक्षा होने से ये दोनों गांव संयुक्त हो इसके लिए गुरूदेव युवा संघ अध्यक्ष गेडाम ने आयुक्त से पहल की है. जिलाधिकारी, तहसीलदार तथा उपविभागीय अधिकारियों से इस संदर्भ में निवेदन दिए गये है. इस का संयुक्त प्रस्ताव विगत एक वर्ष से अमरावती आयुक्त कार्यालय में दाखल किया गया है. किंतु वह वैसे ही धूलखाते में पडा है . इस प्रस्ताव पर अभी तक सकरात्मक कदम नहीं उठाया गया, ऐसी बात बाबा गेडाम ने मंत्रियों के ध्यान में लायी. निवेदन देनेवालों में संगीता कुभेकर, रामकला देवकर, मिरा सावलेकर, नर्मदा खडसे, जगन, शालु पाने, अनिता वाघमारे आदि ग्रामवासियों के हस्ताक्षर है. जामवाडी में विगत 50 वर्षो से मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. लोकप्रतिनिधि केवल आवश्वासन ही देते रहते है. गांववासियों को केवल मतदाता के रूप में ही देखा जाता है. उन्हें मूलभूत सुविधा नहीं दी जाती. जिसके कारण यह सवाल गेडाम ने ग्रामविकास मंत्री के ध्यान में लाया है.