यवतमाल/दि.22– महाविद्यालय में रोजाना हाजिरी लगाने के बाद भी विगत 10 वर्ष से वेतन के नाम पर एक रुपया भी नहीं मिल रहा था. साथ ही 4 एकड खेत में भी फसलों की बर्बादी की वजह से कोई आय नहीं हो रही थी. ऐसे में अपनी बेटी के विवाह और बेटे की पढाई को लेकर चिंतित रहने वाले पुसद निवासी एक प्राध्यापक ने अपने ही खेत मेें जहर गटककर आत्महत्या कर ली. यह घटना सोमवार की दोपहर उजागर हुई. जहर गटकने वाले प्राध्यापक का नाम प्रा. डॉ. अनिल भावनराव चव्हाण (26, जय नगर, पुसद) बताया गया है.
जानकारी के मुताबिक जनता शिक्षण प्रसारक मंडल के बिना अनुदानित शारीरिक शिक्षा यानि बीपीएड कॉलेज में प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण बतौर प्राध्यापक काम किया करते थे. परंतु वर्ष 2013-14 से महाविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या घटती चली गई और यह महाविद्यालय केवल नाम के लिए ही बचा रहा. जिसकी वजह से विगत 10 वर्षों से प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण को महाविद्यालय से कोई वेतन नहीं मिला. ऐसे में वे अपने पास रहने वाली 4 एकड खेती के जरिए अपने परिवार की गुजर बसर करने लगे. लेकिन साल दर साल होने वाली फसलों की बर्बादी की वजह से उनके सिर पर विविध कार्यकारी सोसायटी व अन्य निजी संस्थाओं का कर्ज चढ गया. ऐसे में स्नातक की पढाई कर रही बेटी के विवाह और छोटे बेटे की पढाई की चिंता प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण को सताने लगी. साथ ही बढती उम्र के चलते उन्हें कुछ बीमारियां भी हो गई. इन सभी बतों से परेशान होकर सोमवार की सुबह 10 बजे के आसपास प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण ने वरुड खेत परिसर स्थित अपने खेत में जाकर जहर गटक लिया. जिससे उनकी मौत हो गई.
प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण के परिवार में उनके माता-पिता शांताबाई व भावनराव, पत्नी शोभा, बेटी वैष्णवी (22) व बेटे लुकेश (16) सहित 4 बहने है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण ने अपने खेत में जाकर जहर गटकने के बाद इसकी जानकारी खुद अपने मोबाइल के जरिए नागपुर में रहने वाले अपने जीजा को दी. जिनके जरिए जानकारी मिलते ही चव्हाण परिवार के सदस्यों ने अपने खेत की ओर दौड लगाई और प्रा. डॉ. अनिल चव्हाण को शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती कराया गया. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.