यवतमाल

दो वर्षो से बंद पडे रसवंती के पहिए अब दौडने लगे

गर्मी की लहर बढने से दुकाने जोरों से शुरू

  • इस बार गन्ने के प्रमाण भी अच्छे

महागांव/दि.3 – ए भाई एक मसाले वाला रस देना यह वाक्य कलगांव बायपास व विविध क्षेत्र में सुनाई दे रहा है. विगत दो वर्षो से लॉकडाउन के कारण रसवंती के बंद पडे हुए पहिए अब फिर से चलने लगे है. कोरोना मरीजों की संख्या कम हो जाने से रसवंती का व्यवसाय अच्छी तरह चलेगा, ऐसी आशा व्यक्त की जा रही है.
दिसंबर महिना शुरू होते ही कलगांव बायपास महामार्ग 361 पर रसवंती की दुकाने जोरो से शुरू है तथा हिवरा, काली दौ,गुंज , सवना, मुडाना , धनोडा इन सभी क्षेत्रों में रसवंती की दुकानें जोर शोर से चल रही है. फरवरी महिने में गर्मी की लहर बढ जाने से दुकानों में भीड होना शुरू हो गई है. कोरोना के समय प्रतिबंध लगाने से व नागरिको को ठंडा पेय लेने से मना करने पर रसवंती चालको को व्यवसाय लगभग ठप्प हो गया था. अब शासन आगामी कुछ दिनों में प्रतिबंध हटाने की तैयारी में है. जिसके कारण इस वर्ष रसवंती व्यवसाय जोरो से चलने की अपेक्षा है. रस के लिए उपयोग किया जानेवाला गन्ना और कारखाने में जानेवाला गन्ना यह अलग होने का व्यावसायिको का कहना है.
31.02 और 419 इस जाति का गन्ना रसवंती व्यवसाय के लिए रोपित किया जाता है. पर तहसील में बडे प्रमाण में गन्ना आता है. उसकी मिठास अच्छी होने से रसवंती पर बहुत भीड दिखाई दे रही है.

व्यवसाय अच्छा चलेगा, ऐसी संभावना

कोरोना काल में 2 वर्षो से रसवंती का व्यवसाय बंद था. इस वर्ष अच्छा व्यवसाय होगा, ऐसी अपेक्षा है. पर तहसील के क्षेत्र में रसवंती के लिए लगाया जानेवाला गन्ना किसानों से खरीदा जाता है. इसकी कीमत प्रति टन 4 हजार रूपये है.
– ज्ञानेश्वर मोरे, रसवंती चालक

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