यवतमाल

मामूली छेद से चोरी संभव नहीं

बीमा कंपनी का कहना

* संदेह के आधार पर भरपाई से इंकार नहीं किया जा सकता : ग्राहक आयोग
यवतमाल/दि.17– कृषि साहित्य केंद्र में चोरी हुई. दुकान संचालक ने भरपाई के लिए किया दावा बीमा कंपनी ने ठूकरा दिया. शटर के मामूली छेद से चोरी संभव नहीं है, ऐसा स्टैंड लेते हुए भरपाई देने से इंकार किया. यवतमाल जिला ग्राहक आयोग ने बीमा कंपनी को संदेह के आधार पर भरपाई देने से इंकार करना गलत बताया है और भरपाई देने के आदेश दिए है.
आर्णी के विजय अग्रवाल के शेतकरी एजेंसी नामक कृषि साहित्य बिक्री केंद्र में शटर को छेद कर चोरी की गई थी. 2 लाख 92 हजार 142 रुपए का माल चोरी होने की शिकायत अग्रवाल ने पुलिस थाने में की थी. घटना के बाद अग्रवाल ने ओरिएंटल इंश्युरंस कंपनी यवतमाल शाखा के पास दावे के लिए पुलिस कार्रवाई समेत अन्य सभी कागजपत्र प्रस्तुत किए. लेकिन कंपनी ने बीमा देने से इंकार कर दिया. कंपनी के निर्णय के विरोध ने विजय अग्रवाल ने यवतमाल जिला ग्राहक आयोग में गुहार लगाई. इस पर हुई कार्रवाई के दौरान बीमा कंपनी ने अग्रवाल की दुकान में हुई चोरी पर संदेह व्यक्त किया. अग्रवाल ने दुकान बाबत किसी भी तरह की सावधानी नहीं बरती. इस कारण यह घटना बीमा पॉलिसी के नियम व शर्त में नहीं बैठती ऐसा दर्ज करते हुए दावा ठुकराने की बात कंपनी की तरफ से स्पष्ट की गई. इस पर आयोग ने केवल कंपनी के सर्वेअर को संदेह होने से चोरी की घटना घटित नहीं हुई, ऐसा निष्कर्ष निकालना और बीमा का दावा करना गलत बताया और भरपाई के आदेश दिए. साथ ही चोरी के नुकसान के बदले 1 लाख 3 हजार 100 रुपए ब्याज और शारीरिक व मानसिक परेशानी व शिकायत खर्च के 5 हजार रुपए देने के निर्देश भी इस आदेश में किए गए हैं. यवतमाल जिला ग्राहक आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार वाघमारे, सदस्य एड. हेमराज ठाकुर ने यह आदेश दिया है.

* ऐसे दाखिल हुई रिपोर्ट
नुकसान भरपाई के इस प्रकरण में बीमा कंपनी के सर्वेअर व्दारा दाखिल की गई रिपोर्ट में जो माल चोरी हुआ वह शटर में गिरे छेद से जा नहीं सकता. प्रस्तुत किए गए फोटोग्राफ भी संदेहास्पद है. घटना के 20 दिन बाद फोटोग्राफ दिए गए. यह सभी बाते संदेहास्पद रहने के बात कंपनी ने आयोग के पास दर्ज की. लेकिन यह संदेह व्यक्त करते समय चोर ने किस आकार का छेद गिराया था. छेद से बाहर निकल सके उस आकार की वस्तुएं दुकान में थी. आदि बाते कंपनी व्दारा ध्यान में नहीं ली, ऐसा आयोग ने कहते हुए कंपनी का पक्ष खारिज कर दिया.

 

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