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डीजी की अडीग भूमिका, कई लोगों की राजनीतिक फिल्डींग व्यर्थ जाएगी
यवतमाल/दि.२६ – आयपीएस अधिकारियों के तबादले पर सरकार के खिलाफ पुलिस महासंचालक कार्यालय ऐसा युध्द छूपे तरीके से देखने को मिला. ऐसे में अब महासंचालक कार्यालय में इस बार सीधे विनंती तबादले न करने की भूमिका अपनाई, इसलिए राज्य में सुविधाजनक पोस्टिंग पाने के लिए राजनीतिक फिल्डींग लगाने वाले कई पुलिस निरीक्षकों को निराशा का सामना करना पड रहा है.
पिछले कई दिनों के इंतजार के बाद आईपीएस के तबादले हुए. उसमें भी कही खुशी कही गम ऐसी स्थिति भी देखने को मिली. कुछ लोगों को फिर से साइड ब्रांच और कुछ को लगातार इस बार भी की-पोस्ट दी गई. आज भी १६ आईपीएस अधिकारी नियुक्ति की प्रक्रिया में है. इसमें महासंचालक, महानिरीक्ष, उपमहानिरीक्षक दर्ज के अधिकारियों का समावेश है. अब सभी की नजरे राज्य सेवा के तबादले पर लगी है.
परिक्षेत्र, जिला तबादले में भी देरी
तबादले देरी से होने के कारण पहले ही उनके चेहरे उतरे हुए देखने को मिल रहे हैं. तबादले की सूची में देरी होने के कारण परिक्षेत्र और जिला स्तर के तबादले भी आगे बढ गए हैं, ऐसे में अब महासंचालक कार्यालय ने इस बार सीधे विनंती तबादले न करने की भूमिका अपनाई है. फिल्डींग लगाने वाले पुलिस निरीक्षकों के सुविधायुक्त जगह पर तबादले होेंंगे कि नहीं इसपर संदेह व्यक्त किया जा रहा है.
प्रशासकीय तबादले ३०० से के आसपास
पुलिस निरीक्षकों के प्रशासकीय तबादलों की सूची ३०० से आसपास होने की बात कही जा रही हैं. विनंती तबादले नहीं हुए तो राजनीतिक फिल्डींग में बर्बाद हुआ समय और रुपए व्यर्थ जाएंगे. ऐसी ही स्थिति सहायक निरीक्षक और फौजदारों की भी हैं.
उपअधिक्षक के विनंती तबादले की गारंटी
कई पुलिस उपअधिक्षक, सहायक आयुक्त ने महत्वपूर्ण विभाग हथियाने के लिए विनंती रास्ते से मोर्चा बांधना शुरु किया. मगर उनके विनंती तबादले का अधिकार सरकार के पास होने के कारण यह विनंती तबादले होने की संभावना है फिर भी उनमें उदासिनता दिखाई दे रही हैं.