सोमैया के मिशन से अजीत पवार गुट ने बनाई ‘सुरक्षित दूरी’

गुटों के समीकरण को ध्यान में रखकर बरती जा रही अतिरिक्त सतर्कता

* सोमैया के बयान से विधायक खोडके दंपति भी नाराज, हो चुकी शाब्दीक तनातनी
अमरावती/दि.13 – भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया विगत कई दिनों से फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों का मुद्दा उठा रहे है और लगातार राज्य के अलग-अलग जिलो का भी दौरा कर रहे है. जिसमें अमरावती शहर सहित जिले का भी समावेश है. विगत कुछ माह के दौरान भाजपा नेता किरीट सोमैया कई बार अमरावती शहर सहित अंजनगांव सुर्जी तहसील क्षेत्र का दौरा करते हुए पुलिस अधिकारियों से लगातार बातचीत कर संबंधितों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज किए जाने की मांग भी कर रहे है. जिसके चलते यह मामला अच्छा-खासा गरमाया हुआ है और भाजपा द्वारा इस मामले को जोरशोर के साथ उठाया भी जा रहा है. जिसे कुछ हद तक महायुति में शामिल शिंदे गुट वाली शिवसेना की ओर से भी समर्थन मिल रहा है, ताकि बहुसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा उठाया जा सके. परंतु ठीक उसी समय महायुति में शामिल अजीत पवार गुट वाली राकांपा द्वारा इस मामले से सुरक्षित दूरी बनाकर आगे बढा जा रहा है. क्योंकि राकांपा की पहचान सेक्युलर पार्टी के तौर पर है. ऐसे में अजीत पवार गुट वाली राकांपा द्वारा इस मामले पर भाजपा का कोई समर्थन नहीं किया जा रहा. उलटे पार्टी के नेताओं द्वारा अपने हितों एवं वोट बैंक को देखते हुए कहीं न कहीं सोमैया की ओर उठाए गए मुद्दे के खिलाफ बयान दिए जा रहे है. जिसके चलते सोमैया और राकांपा नेताओं के बीच एकतरह से तनातनी वाली स्थिति बन गई है. जिसका ताजा उदाहरण हाल ही में अमरावती दौरे पर आए भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा स्थानीय विधायक सुलभा खोडके के बयान पर दी गई प्रतिक्रिया और उसके बाद सोमैया के बयान पर विधायक संजय खोडके द्वारा किए गए पलटवार को कहा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर भाजपा सहित शिंदे गुट वाली शिवसेना द्वारा कट्टर हिंदुत्व की राजनीति की जाती है और अब स्थानीय निकायों के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा द्वारा विशेष तौर पर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर सेक्युलरवाद पर चलनेवाले राकांपा के अजीत पवार गुट को इस बात का पूरा एहसास है कि, केवल हिंदुत्व के मुद्दे पर ही जिले में चुनाव जीतना आसान नहीं है और चुनाव जीतने के लिए समाज के सभी वर्गों व घटकों का साथ मिलना काफी जरुरी है. ऐसे में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र मामले से अजीत पवार गुट वाली राकांपा द्वारा सुरक्षित दूरी बनाकर रखी गई है, ताकि कहीं उसकी वजह से उसका वोट बैंक न छिटक जाए. क्योंकि सोमैया द्वारा उठाए गए मुद्दे के चलते इस समय समाज दो धडों में बंटा हुआ दिखाई दे रहा है और अजीत पवार गुट वाली राकांपा की समाज से दोनों धडों पर नजर है.
ज्ञात रहे कि, भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा इस मामले को लेकर आरोप लगाते हुए कहा था कि, अमरावती जिले में बाहर से आकर बसे रोहिंग्या व बांग्लादेशी लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दलालों के जरिए तहसील कार्यालयों से जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किए है. ताकि वे लोग खुद को भारतीय नागरिक दिखा सके. सोमैया द्वारा लगाए गए आरोप के मुताबिक ऐसी सर्वाधिक गडबडियां अमरावती व अंजनगांव सुर्जी तहसीलों में हुई है. अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर प्रशासन एवं पुलिस के समक्ष कई सबूत पेश करने के साथ ही किरीट सोमैया ने अब तक कई बार अमरावती जिले का दौरा भी किया और राजस्व प्रशासन व पुलिस महकमे के अधिकारियों के साथ चर्चा करते हुए इस बारे में आवश्यक कार्रवाई किए जाने की मांग भी उठाई. जिसके चलते विगत लंबे समय से शहर सहित जिले में अच्छे-खास हडकंप व सनसनी वाली स्थिति है.
खास बात यह भी है कि, सोमैया द्वारा यह मामला उठाए जाने के बाद राजस्व प्रशासन ने बडी तेजी के साथ जांच-पडताल करने के उपरांत एक आदेश जारी कर अमरावती शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म व मृत्यु के करीब 2800 प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया. यह आदेश जारी होने के अगले ही दिन किरीट सोमैया एक बार फिर अमरावती पहुंच गए और उन्होंने रद्द किए गए प्रमाणपत्र धारकों में से करीब 300 लोगों के अचानक ही लापता हो जाने का आरोप लगाते हुए ऐसे लोगों को संदेहित बताया और उन्हें जल्द से जल्द ट्रेस किए जाने की मांग भी उठाई. वहीं राजस्व प्रशासन द्वारा 2800 जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र रद्द किए जाने का आदेश जारी होते ही अजीत पवार गुट वाली राकांपा की विधायक सुलभा खोडके ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, वे अमरावती मनपा क्षेत्र में एक भी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र को रद्द नहीं होने देंगी. जिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सांसद सोमैया ने विधायक सुलभा खोडके की ‘व्याकरण की समझ’ पर सवालिया निशान उठाया था. जिसे लेकर विधायक सुलभा खोडके के पति तथा अजीत पवार गुट वाली राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य संजय खोडके ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा था कि, दस्तावेजों के साथ छेडछाड कर हासिल किए गए जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द करना बिल्कुल सही है, लेकिन केवल कुछ तकनीकी खामियों के चलते जन्म प्रमाणपत्रों को रद्द कर देने का कोई औचित्य नहीं है, बल्कि इसकी बजाए वितरित किए गए जन्म प्रमाणपत्रों की सही तरीके से जांच किए जाने की जरुरत है.
यहां पर सबसे अधिक ध्यान देनेवाली बात यह है कि, विपक्ष में रहनेवाली कांग्रेस सहित भाजपा के साथ महायुति में शामिल रहनेवाली अजीत पवार गुट वाली राकांपा द्वारा एक सूर में यह कहा जा रहा है कि, भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा प्रशासन एवं पुलिस पर दबाव बनाया जा रहा है, जिसे कदापी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बल्कि प्रशासन और पुलिस ने पूरी तरह से निष्पक्ष होकर अपना काम करना चाहिए. वहीं कांग्रेस ने तो इससे भी एक कदम आगे बढते हुए यह आरोप भी लगा दिया कि, भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा अमरावती शहर सहित जिले के सौहार्दपूर्ण वातावरण को खराब करने का काम किया जा रहा है, जिससे दो समाजों के बीच अविश्वास एवं दूरी वाली स्थिति बन रही है. जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए किरीट सोमैया ने यहां तक कह डाला कि, अपना वोट बैंक बढाने हेतु कांग्रेस द्वारा घुसपैठियों को भी बाहर से लाकर देश में बसाया जा रहा है, ताकि ऐसे लोग ‘वोट जिहाद’ करते हुए कांग्रेस को सत्ता दिला सके.
भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही तनातनी को सत्ता पक्ष व विपक्ष की प्रतिस्पर्धा वाली राजनीति के तौर पर समझा भी जा सकता है. परंतु यहां तो सत्ता पक्ष में ही शामिल दो घटक दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर एक राय दिखाई नहीं दे रही है, बल्कि भाजपा व अजीत पवार गुट वाली राकांपा के नेताओं के बीच इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ विरोधपूर्ण बयान देने के साथ ही वार व पलटवार भी किए जा रहे है. इसके चलते दोनों दलों के बीच राजनीतिक असमंजस वाली स्थिति है.

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