विपक्ष के गायब रहने से सत्तापक्ष की हुई ‘बल्ले-बल्ले’
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की आमसभा रही सुचारु

* कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव आमसभा में हुए पारित
अमरावती /दि.1 – दि अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की कल मंगलवार को हुई आमसभा विपक्षी संचालकों की गैरहाजिरी के चलते जमकर चर्चा में रही. विपक्षी संचालकों के अनुपस्थित रहने की वजह से कई विवादास्पद मुद्दों पर कोई चर्चा ही नहीं हुई. परंतु जिसके बावजूद की सभा में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होने के साथ ही प्रस्ताव भी पारित किए गए.
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू की अध्यक्षता तथा उपाध्यक्ष अभिजीत ढेपे की प्रमुख उपस्थिति के बीच आमसभा का प्रारंभ होते ही कई सदस्यों ने किसानों की कर्जमाफी का प्रस्ताव लेने का आग्रह किया. जिस पर बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू ने कहा कि, ऐसा करना तकनीकी रुप से सही नहीं रहेगा. बल्कि वे किसान कर्जमाफी के लिए एक बार फिर स्वतंत्र रुप से आंदोलन शुरु करेंगे. इस समय बैंक के सदस्य वानखडे ने आरोप लगाया कि, पिछली बार किसानों को बैंक की ओर से योग्य फालोअप नहीं लिए जाने के चलते कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल पाया था, जिसे पूरी तरह से खारिज करते हुए बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू ने कहा कि, हकीकत में कर्जमाफी को लेकर दो अलग-अलग योजनाएं रहने के चलते उसे लेकर काफी गडबडियां हुई.
इसके साथ ही बैंक की कम्प्युटर सिस्टीम पर कुछ दिन पहले हुए साइबर हमले के प्रयास पश्चात दुबारा इसकी पुनरावृत्ति न हो, इस हेतु साइबर सिक्युरिटी फायरवॉल सहित अन्य संगणकीय बदलावों को मान्यता देने हेतु आमसभा में रखे गए प्रस्ताव को सर्वसम्मती से मंजूर किया गया. साथ ही अनुकंपाधारकों हेतु पद भर्ती का प्रस्ताव भी पारित किया गया. खास बात यह रही कि, विपक्षी संचालकों ने ही किसान कर्जमाफी का प्रस्ताव आमसभा में रखने का आग्रह संचालक मंडल की बैठक में रखा था, परंतु वह प्रस्ताव रखने हेतु खुद विपक्षी संचालक ही आमसभा में उपस्थित नहीं थे.
इस आमसभा में बैंक के संचालक प्रा. नरेशचंद्र ठाकरे, जयप्रकाश पटेल, सुरेखा ठाकरे, सुनील वर्हाडे, आनंद काले, चित्रा डहाणे, बालासाहब अलोणे, मोनिका मार्डीकर, अजय मेहकरे व बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेंद्र बकाल सहित जिलेभर से बैंक के सभासदों की उपस्थिति रही.
* विपक्षी संचालकों ने आमसभा का किया ‘बायकॉट’
उल्लेखनीय है कि, बबलू देशमुख गुट द्वारा आरोप लगाया गया था कि, विपक्षी संचालकों को विश्वास में लिए बिना जिला बैंक की आमसभा आयोजित की जा रही है. अत: यह आमसभा पूरी तरह से अवैध है. यही वजह रही कि, इस आमसभा में विपक्षी गुट से वास्ता रखनेवाले बबलू देशमुख, सांसद बलवंत वानखडे, पूर्व विधायक प्रा. वीरेंद्र जगताप, हरीभाऊ मोहोड, श्रीकांत गावंडे, रवींद्र गायगोले, दयाराम काले, सुरेश साबले, प्रकाश कालबांडे व सुधाकर भारसाकले अनुपस्थित रहे और अपनी गैरहाजिरी दर्शाते हुए विपक्षी संचालकों ने एकतरह से इस आमसभा का बहिष्कार यानि बायकॉट किया.
* महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?
इस आमसभा को संबोधित करते हुए बैंक के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, मौजूदा केंद्र एवं राज्य सरकार को महाराष्ट्र के किसानों से कोई लेना-देना नहीं है. पंजाब में आई बाढ में किसानों का नुकसान होने के बाद वहां की स्थानीय सरकार ने बिना समय गंवाए किसानों को प्रति हेक्टेअर 50 हजार रुपए की सहायता तुरंत उपलब्ध कराई. लेकिन पंजाब के मुकाबले महाराष्ट्र जैसे आर्थिक रुप से मजबूत व सुविधा संपन्न राज्य में सरकार द्वारा किसानों को मात्र 7 से 8 हजार रुपए प्रति हेक्टेअर की सहायता दी जा रही है. यह सीधे-सीधे महाराष्ट्र के साथ होनेवाला सौतेला व्यवहार है.
इसके साथ ही बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, बैंक ने विगत दो वर्षों के दौरान एक भी किसान को कर्ज से वंचित नहीं रखा और इस समय भी बैंक तय लक्ष्य की तुलना में 105 प्रतिशत कर्ज वितरित कर चुकी है. यदि सरकार ने वर्ष 2022 से 2024 तक बैंक को ब्याज लौटाया होता, तो आज बैंक को करीब 22 करोड रुपयों का मुनाफा हुआ होता और बैंक ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर पाती. बैंक के अध्यक्ष बच्चू कडू के मुताबिक किसानों के साथ-साथ सहकारी संस्थाओं को भी जीवित रखना जरुरी है, इस बात को ध्यान में रखते हुए बैंक द्वारा सोसायटीयों को 8 करोड में से 4 करोड रुपए वितरित किए गए. साथ ही इस समय 1800 से 2300 करोड की बचत निधि रहनेवाली बैंक 127 करोड रुपए के मुनाफे में है तथा किसानों के हितों को पहली प्राथमिकता देने की पूरी तैयारी में भी है.





