एकदरा की स्वयंभू जगदंब पार्वती माता, पिपलागड में भी उमडे भक्त

वरूड/दि.1 – नागपुर मार्ग पर 20 किमी दूर स्थित एकदरा के पुरातन, ऐतिहासिक जगदंबा पार्वती माता को मन्नत पूर्ण करनेवाली देवी के रूप में मान्यता है. प्राचिन काल से ही यह तीर्थस्थान भाविकोंं के लिए श्रध्दा का स्थान रहा है. शारदीय नवरात्रोत्सव में यहा प्रतिवर्ष अलग छटा रहती है. तडके 3 बजे से ही भक्तों का आना शुरू हो जाता है. वरूड शहर से 24 किमी दूर पिपलागढ में भी भाविक दर्शन के लिए जाते है. जिससे मेले जैसा स्वरूप इस क्षेत्र को मिलता है.
नागपुर के भोसले ने की अष्टभूजा देवी स्थापना
अचलपुर- अचलपुर शहर के बेगमपुरा क्षेत्र में नागपुर के भोसले परिवार ने श्रीराम मंदिर की स्थापना की थी. कालांतर में मंदिर क्षेत्र में मां जगदंबा देवी की प्राणप्रतिष्ठा भोसले घराने ने की. आज भी जिले में मनोकामना पूर्ण करनेवाली देवी के रूप में प्रसिध्द है. समय के साथ यह मंदिर जहांगिरदार को सौंपा गया. शारदीय नवरात्रि उत्सव इस मंदिर में उत्साह से मनाया जा रहा है. तडके 4 बजे से रात्री 10 बजे तक भक्त की रेमपेल रहती है.

वडगांव रहाटगांव सीमा की स्वयंभू भवानी माता
अमरावती- वडगांव माहोरे और रहाटगांव इन दो गांवों की सरहद पर जागृत स्वयंभू भवानी माता का देवस्थान है. यह देवी पंचक्रोशी में नागरिकों की श्रध्दा का स्थान है. एक पेड के नीचे चबूतरे पर पांच पाषाण रूप में देवी स्थापीत है. पास ही छोटा तालाब है. चबुतरा और तालाब सरकारी जगह पर है. तालाब को मां भवानी के नाम से जाना जाता है. इस देवी की भी अनेक आख्यायिका है. भाविक शारदिय नवरात्रि उत्सव में दर्शन हेतु नित्य आ रहे है. कई श्रध्दालुओं ने यहां अखंड दीप भी प्रज्वलित करवाएं हैं.






