तीसरा विदर्भ लेखिका साहित्य सम्मेलन रहा शानदार

माय मराठी नक्षत्र प्रतिष्ठान का आयोजन

अमरावती/ दि. 11 – माय मराठी नक्षत्र प्रतिष्ठान ने यहां कांचन रिसॉर्ट में प्रसिध्द उद्योजिका कांचन उल्हे की उपस्थिति तथा उषा किरण आत्राम की अध्यक्षता में तीसरा विदर्भ लेखिका साहित्य सम्मेलन का सफल आयोजन किया. ज्योत्सना चांदुगुडे सम्मेलन में प्रमुख अतिथि के रूप में और डॉ. मनीषा यमसनवार उद्घाटक के रूप में उपस्थित रही. मंच पर पूर्व अध्यक्ष विजया ब्राह्मणकर भी विराजमान थी.
अध्यक्षीय संबोधन में आत्राम में कहा कि गोंडी भाषा में नेतृत्व करनेवाली स्त्री को मोटयारीन कहते हैं. वे सहर्ष और सगर्व यह उपाधि माय मराठी नक्षत्र की विजया मारोतकर को देना चाहती है. जिनकी पहल और कोशिशों से यह सम्मेलन आयोजित किया गया. सम्मेलन में विदर्भ शलाका 2025 विशेषांक का प्रकाशन किया गया. रजनी दीदी राठी, प्रभा आवारे, रजिया सुलताना, कमल रहाटे, प्राची पारखी को विदर्भ रत्न से गौरवान्वित किया गया. प्रसिध्द लेखिका डॉ. शोभा रोकडे पर अभिरूप न्यायालय में झूठमूठ का मुकदमा किया गया. जिसमें जज की भूमिका मंगेश बावसे तथा सरकारी वकील के रूप में गोविंद सालफे, निशा डांगे नायगांवकर, डॉ. माधव शोभने ने भूमिका निभाई. सूत्र संचालन माया मानकर ने किया. अर्दली की भूमिका दत्तात्रय अतकरी ने की.
चित्रा कहाते की अध्यक्षता में गजल मुशायरा संपन्न हुआ. नांदेड की रोहिणी पांडे और पुष्पा दलाल अतिथि के रूप में उपस्थित थी. कई दमदार गजले प्रस्तुत की गई. निशा डांगे और आरती झोटिंग ने संचालन किया. आभार वैशाली कौटुंबे ने माना. कवि सम्मेलन एड. मंगला नागरे की अध्यक्षता में हुआ. 35 कवियत्रियों ने कविताएं प्रस्तुत की. मंच पर सविता इंगले और स्मिता गोले उपस्थित थी. संचालन जया जाने, प्रतिभा ढोक और कोकिला खोदनकर ने किया.
दूसरे दिन का प्रारंभ कथाकथन से हुआ. इस सत्र की अध्यक्षता आशा भूसे ने की. वैशाली मोहिते प्रमुखता से उपस्थित थी. कल्पना देशमुख, साधना कालबांडे, विद्या राणे, कोकिला खोदनकर ने एक से बढकर एक कथा प्रस्तुत कर सत्र को उंचाई प्रदान की. उपरांत बदलती जीवन शैली विषय पर परिसंवाद हुआ. प्रभा आवारे ने अध्यक्षता की. जयश्री कोटगिरवार अतिथि के रूप में उपस्थित थी. डॉ. जया जाने ने बदलते रिश्ते, स्मिता भोईटे ने बदलती परिवार पध्दति और माया मानकर ने महिलाओं के बदलते कार्यक्षेत्र, वर्षा धाबे ने बदलते ग्रामीण परिवेश और वर्षा पसारकर ने शिक्षा क्षेत्र के बदल पर विचार रखे. बदलती मराठी पर सुनीता तायडे ने, बदलती मिट्टी पर विजया भांगे ने एवं बदलती विवाह पध्दति पर डॉ. सीमा पाण्डेय और पल्लवी लांडे ने विचार रखे.
पुस्तकों का प्रकाशन मान्यवरों के हस्ते किया गया. उनमें एड. मंगला नागरे की कलगी, डॉ. साधना कालबांडे की ओळखा पाहू, जयश्री कोटगिरवार के बाल तथा संग्रह, विजया मारोतकर की शब्द पंख, ज्योति ताम्हणे की काव्य मंजिरी का समावेश रहा. समापन सत्र के अध्यक्ष सुदर्शन गांग ने विदर्भ की लेखिका बहनों के लेखन और साहित्य सम्मेलन के आयोजन को आनंददायी बताया और कहा कि आगे भी वे सहकार्य के लिए तैयार है. वासंती मंगरोले ने कहा कि महिलाए किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. साहित्य क्षेत्र में विदर्भ की माटी की रची बसी साहित्य हीरकणि को इस प्रकार के सम्मेलनों से ही अवसर प्राप्त होते हैं. संचालन डॉ. कालबांडे, उज्वला इंगले, चित्रा कहाते ने किया. आभार प्रदर्शन, सम्मेलन की संयोजिका विजया मारोतकर ने किया. राष्ट्रगीत से सम्मेलन का समापन हुआ.

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