द एलीट नशिस्त’ पटना में अबरार काशिफ का सत्कार
अमरावती शहर के जाने माने शायर

अमरावती/ दि. 3 – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमरावती शहर का नाम रोशन करने वाले मशहूर शायर अबरार काशिफ को हाल ही में पटना में आयोजित एक साहित्यिक आयोजन ‘द एलीट नशिस्त: महफ़िल-2’ में सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के हाथों प्रदान किया गया.
यह आयोजन पटना लिटरेरी फेस्टिवल द्वारा मुनव्वर राना फाउंडेशन, लखनऊ के सहयोग से पटना के पाटलिपुत्र कॉन्टिनेंटल होटल के बैंक्वे हॉल में किया गया. माहौल साहित्यिक सुरों से इस कदर सराबोर हो गया कि शाम धीरे-धीरे एक यादगार महफ़िल में तब्दील हो गई. कार्यक्रम की शुरुआत से अपने संचालक द्वारा अबरार काशिफ ने श्रोताओं शायरी से जोड़े रखा . हॉल शेरो-शायरी और तालियों की गूंज से गूंजता रहा.
महफ़िल में देश के चुनिंदा शायरों और कवियों ने शिरकत की, जिनमें अबरार काशिफ, महशर आफरीदी, मुमताज नसीम, सय्यद तबरेज राणा, और तिष्या श्री प्रमुख रहे. महफ़िल की संचालन की बागडोर खुद अबरार काशिफ ने संभाली. उन्होंने श्रोताओं को आरंभ से अंत तक बांधे रखा. सय्यद तबरेज राणा की शायरी ने भी दिलों को छू लिया और कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई दी. इस अवसर पर होटल के मालिक अशफाक रहमान ने अबरार काशिफ की शायरी और उनके व्यक्तित्व की भूरी-भूरी सराहना की. उन्होंने कहा कि, अबरार साहब की शायरी में अदब, एहसास और समाज की सच्चाई है, जो आज के दौर में बहुत मायने रखती है. कार्यक्रम के आयोजक खुर्शीद अहमद, जो बिहार में साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, ने कहा कि हमारा उद्देश्य बिहार की सरज़मीं पर उर्दू और हिंदी साहित्य को एक नई पहचान देना है. द एलीट नशिस्त पटना की साहित्यिक परंपरा में एक नया मुकाम साबित हुआ है और अबरार काशिफ जैसे शायरों की भागीदारी ने इसे और भी खास बना दिया. अबरार काशिफ की मोहब्बत भरी शायरी और साहित्य को समर्पित उनके जीवन को लेकर द एलीट नशिस्त’ पटना में सम्मानित किया गया, इस मौके पर अजीत अंजुम ने भी अबरार काशिफ की सराहना करते हुए कहा कि इस नफरत भरे दौर में अबरार काशिफ जैसे शायर मोहब्बत और प्रेम को आम करने में अपनी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं उन्होंने कहा कि अबरार काशिफ की शायरी के साथ-साथ आवाज़ भी श्रोताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है, इस मौके पर उन्होंने अबरार काशिफ के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की.





