अंदाज लगाना मुश्किल, पंजा निकलेगा या फूल?
नेता-उपनेता चिल्ला रहे, वोटर बैठा है शांत
* अधिकतर के मुंह से सुनाई दे रहा पंजे का नाम
अमरावती/दि.27 – विगत करीब सवा माह से लोकसभा चुनाव को लेकर अमरावती संसदीय क्षेत्र में चल रही राजनीतिक उठापठक एवं चुनावी धामधूम कल शुक्रवार 26 अप्रैल को मतदान की प्रक्रिया निपटते ही पूरी तरह से शांत हो गई. जिसके साथ ही अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडने वाले सभी प्रत्याशियों का राजनीतिक भविष्य अगले 38 दिनों के लिए ईवीएम में कैद हो गया है और चुनावी नतीजे का खुलासा आगामी 4 जून को होने वाली मतगणना के साथ ही होगा. लेकिन इस समय मतदान की प्रक्रिया निपटने के बाद राजनीतिक कयासों का दौर शुरु हो गया है. जिसके तहत सभी राजनीतिक दलों के नेता व पदाधिकारियों अपने-अपने प्रत्याशियों के जीत के दावे कर रहे है. वहीं दूसरी ओर प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने वाले आम मतदाताओं ने वोट डालने के बाद शांतिपूर्ण तरीके से चुप्पी साध ली है. जिसके चलते यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में ‘पंजा’ निकलेगा या ‘कमल’ खिलेगा. हालांकि जमीनीस्तर सहित सोशल मीडिया के जरिए सामने आ रही जानकारी के मुताबिक हर ओर पंजे की गूंज ही सुनाई दे रही है. लेकिन मतगणना के बाद ईवीएम मशीनों से किस तरह के राजनीतिक समीकरण निकलकर सामने आते है. यह देखने वाली बात होगी.
बता दें कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र के लोकसभा चुनाव हेतु कल शुक्रवार 26 अप्रैल को मतदान की प्रक्रिया पूर्ण कराई गई. जिसके तहत संसदीय क्षेत्र में शामिल 6 विधानसभा क्षेत्रों में गत रोज औसत 63.67 फीसद मतदान हुआ. हालांकि मतदान को लेकर मतदाताओं में कोई विशेष उत्साह या खास अरुचि दिखाई नहीं दी, बल्कि सुबह 7 बजे से शुरु हुआ मतदान काफी सुस्त रफ्तार के साथ आगे बढा और जहां एक ओर मतदाताओं के घर से निकलकर मतदान केंद्रों तक पहुंचने की रफ्तार सुस्त थी. वहीं मतदान केंद्रों पर भी तमाम तरह की दिक्कतों के चलते सुस्त रफ्तार से ही मतदान हुआ. इसके साथ ही सबसे खास बात यह रही कि, कल अमरावती संसदीय क्षेत्र में हुए मतदान में पहली बार किसी भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी को लेकर कोई ‘बोभाटा’ नहीं हुआ. जिसके चलते इस बात का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल था कि, आखिर किसकी हवा और किसकी लहर चल रही है. साथ ही साथ मतदान निपट जाने के बाद आम मतदाताओं ने भी कुछ इस कदर चुप्पी साध ली है कि, अब अनुमान और भी अधिक मुश्किल हो गया है.
हालांकि कल हुए मतदान के बाद यह चित्र तो स्पष्ट हो गया है कि, भले ही अमरावती संसदीय क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले वाली स्थिति बनी हुई थी. लेकिन मुख्य मुकाबला तो भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मतदान वाले दिन हुआ. परंतु मतदान की प्रक्रिया के बाद ‘उन्नीसा-बीसा’ को लेकर संभ्रम वाली स्थिति देखी जा रही है. हालांकि कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि, इस बार अमरावती संसदीय क्षेत्र में हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी का पंजा ‘इक्कीसा’ रह सकता है. हालांकि अभी यह तमाम बातें केवल चर्चाओं और कयासों का हिस्सा है और इस बार के चुनाव में उंट किस करवट बैठता है तथा कौनसा प्रत्याशी बाजी मारता है, यह तो आगामी 4 जून को होने वाली मतगणना के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगा.