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स्टेट बैंक में फर्जी एज्युकेशन लोन घोटाला, नाबालिग को बनाया गारंटर

मैनेजर और अधिकारी के खिलाफ पुलिस में दी शिकायत

* 64 लाख का आवासीय ऋण ‘बोगस सिबिल’ में अटका
* रिजर्व बैंक, एसबीआई मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित किया
* पूछताछ करने पर बाप को लताड़ कर भगा दिया
* एसबीआई अधिकारियों की तानाशाही से बाप-बेटा त्रस्त
परतवाडा/अचलपुर/दि.1- भारतीय स्टेट बैंक की अचलपुर स्थित शाखा क्रमांक 00371 में एज्युकेशन लोन देने के नाम पर हुए कथित फर्जीवाड़े में अचलपुर निवासी एक सुशिक्षित युवक को बतौर गारंटर बलि का बकरा बनाये जाने का आपराधिक मामला सामने आया है. जिसे गारंटर बनाया गया, वह उस समय नाबालिग था, जब संबंधित व्यक्ति को कर्ज प्रदान किया गया. स्टेट बैंक अचलपुर सहित अन्य शाखाओं में किस प्रकार से मनमानी और तानाशाही चल रही है. यह घटना इसका सबसे ताज़ा उदारहण कही जा सकती है. अचलपुर स्टेट बैंक के मैनेजर और ऋण अधिकारी की इस नौकरशाही के कारण पीड़ित युवक का ‘सिबिल’ यह ‘डिफाल्टर’ घोषित कर दिया गया.
जानकारी के मुताबिक आज की तारीख में उक्त युवक पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत है. उसने जुलाई माह में पुणे की एसबीआई हिंजेवाड़ी शाखा से फ्लैट खरीदने हेतु कर्ज के लिए आवेदन किया था. सभी औपचारिकतायें पूर्ण करने के बाद पुणे की एसबीआई शाखा ने जब युवक का सिबिल टटोला, तो जो डाटा प्राप्त हुआ, उसमें वह अचलपुर स्टेट बैंक में एक एज्युकेशन लोन केस में गारंटर पाया गया. गौरतलब यह भी है कि, अचलपुर की एसबीआई शाखा से दिए गए उक्त शिक्षा ऋण की एक क़िस्त भी 19 साल में जमा नही करवाई गई. मजे की बात यह भी है कि, वर्ष 2003 में जब अचलपुर की एसबीआई द्वारा संबंधित व्यक्ति को लोन दिया गया था, तब गारंटर युवक की आयु केवल 15 साल की थी और उस समय वह स्थानीय सिटी हाईस्कूल की कक्षा ग्यारहवीं में अध्ययनरत था.
इस बारे में युवक और उसके पिताजी ने अनेक मर्तबा भारतीय स्टेट बैंक अचलपुर शाखा के चक्कर काटे, विनंती, प्रार्थना की, गिड़गिड़ाए. लेकिन हर समय स्टेट बैंक के अधिकारियों ने अपनी बैंक नौकरी का रुबाब दिखाते हुए पिता को जलील और अपमानित कर भगा दिया. अचलपुर स्टेट बैंक में चल रहे इस फर्जी लोन मामले और रोज हो रही खुद की बेइज्जती से तंग आकर पिता ने भारतीय रिजर्व बैंक, स्टेट बैंक मुख्यालय, क्षेत्रीय व्यवसाय कार्यालय अमरावती के साथ ही परतवाडा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुमित गोविंद चितलांगे (उम्र 35) नामक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने पुणे के एसबीआई शाखा में फ्लैट लेने के लिए ऋण का आवेदन किया था. 26 जुलाई को इस संदर्भ में एसबीआई पुणे ने सुमित को बताया कि आपको लोन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि आप एसबीआई की अचलपुर शाखा में एक लोन में गारंटर है और उस लोन की आज तक एक भी किश्त जमा नही हुई है. पुणे एसबीआई ने युवक को उसका सिबिल ब्यौरा भी बताया. जिसे देखकर सुमित चकरा गया. मात्र 15 साल की उम्र में उसने किसे लोन दिला दिया, यह सोचकर परेशान युवक ने ऑनलाइन एक पत्र प्रेषित कर एसबीआई अचलपुर से इस अनियमितता को दूर करने की प्रार्थना की थी. सुमित की इस रिक्वेस्ट को अचलपुर के अधिकारियों ने सिरे से खारिज कर दिया. एसबीआई अचलपुर के अधिकारियों ने सुमित के मेल का साधा जवाब देना भी अपनी तौहीन समझी. सुमित के पिता गोविंद नारायणदास चितलांगे (बिलनपुरा, अचलपुर) पीडब्ल्यूडी अचलपुर के सेवानिवृत्त कर्मचारी है. गोविंद चितलांगे से इन दिनों ठीक ढंग से चलना भी नही हो पाता. डॉक्टरों ने उन्हें ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी मना कर रखा है. अचलपुर एसबीआई शाखा से कोई प्रतिसाद न मिलता देख सुमित ने यह बात अपने पापा गोविंद चितलांगे को मोबाइल पर बताई और कहा कि वे प्रत्यक्ष रूप से बैंक अधिकारियों से संपर्क कर सिबिल में गलत तरीके से दर्ज किए उसके नाम को रद्द करने लगाएं.
यहीं से चितलांगे परिवार की दिक्कत, परेशानी, बेइज्जती, अपमान और मनमानी का दौर शुरू हुआ. गोविंद चितलांगे 3 अगस्त से 17 अगस्त तक एसबीआई की अचलपुर शाखा के चक्कर लगाते रहे. एसबीआई अचलपुर शाखा के मैनेजर नविनकुमार डोनिवाल ने तो उन्हें अपने केबिन में से ही गेट आउट कहकर भगा दिया. साथ ही तुम मेरे केबिन में आये कैसे, इस तरह का उल्टा यह सवाल उनसे किया गया. एसबीआई के ऋण अधिकारी उमेश डोलस के पास भी गोविंद चितलांगे पहुंचे, तो उन्होंने भी जी भरकर असभ्य बर्ताव करते हुए कहा कि, हमारे पास जो रिकार्ड है, वो सही है, स्टेट बैंक का रिकार्ड कभी गलत नहीं होता है, तुम्हारे बेटे ने लोन की गारंटी ली होंगी, तभी इसमे ऐसा लिखा हुआ है, जाने कहां-कहां से उठे-सूटे चले आते है ये बदतमीज लोग, वगैरह-वगैरह.
गोविंद चितलांगे 3 अगस्त से 17 अगस्त के बीच प्रत्येक कामकाज के दिन सुबह 11 बजे एसबीआई अचलपुर शाखा में पहुंचे. लेकिन न तो उनसे किसी ने सामान्य लहजे में बात की, ना ही किसी ने सहानुभूति दर्शाई और ना ही किसी जवाबदार बंदे ने उन्हें मदद करने की कोई कोशिश ही की. उन्हें बैंक अधिकारियों ने बैठने तक को नहीं कहा. पैरों से अपाहिज सदृश्य हो चुके गोविंद को कई मर्तबा बैंक के फर्श पर बैठकर अधिकारियों की मिन्नतें करनी पड़ी. बैंक का पूरा स्टाफ उन्हें फर्श पर बैठा देखता था, लेकिन कोई उन्हें कुर्सी पर बैठने नही कहता था. इतनी जिल्लत सहन करने के बाद गोविंद निराश हो गया थे. उन्होंने 18 अगस्त को अपने एक परिचित पत्रकार को सारा मामला बताया और अपने साथ बैंक में चलने की प्रार्थना की. वह पत्रकार और गोविंद चितलांगे जब बैंक अधिकारी उमेश डोलस के कक्ष में पहुंचे, तब भी उन्हें केबिन से बाहर जाने को कहा गया. यहां मत खड़े रहो, बाहर जाओ, बाहर इंतजार करो, जैसे बदतमीजी भरे जुमले अधिकारी डोलस के मुंह से निकल रहे थे. 18 तारीख को भी बैंक मैनेजर डोनिवाल और उमेश डोलस का रवैया अत्यंत निंदनीय था. लेकिन गोविंद उस दिन प्रमाणपत्र देने की जिद्द कर बैठे रहे. तब जाकर उन्हें एक प्रमाणपत्र दिया गया. गोविंद को लगा कि यह प्रमाणपत्र देने से मेरे पुत्र का हाऊसिंग लोन का काम हो जायेगा. लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ. एनओसी देने के बाद भी पुणे के बैंक अधिकारियों ने कहा कि जब तक सिबिल पर नाम नही हटाया जाएगा तब तक आपको कोई लोन नही दिया जायेगा.
स्टेट बैंक अचलपुर के मैनेजर नविनकुमार डोनिवाल और उमेश डोलस ने सुमित चितलांगे के नाम से कोई लोन नही है, अथवा वह किसी लोन में गारंटर नही है, ऐसा पत्र लिखकर जरूर दिया, किन्तु खुद के कार्यालय द्वारा जारी फर्जी बकाया ऋण सूची में से सुमित चितलांगे का नाम बाहर नही किया. यानी एसबीआई अचलपुर के एनओसी दिए जाने के बाद भी सुमित चितलांगे अभी भी कागजात पर डिफाल्टर ऋण धारक का गारंटर बना हुआ है. इस बारे में पिता गोविंद

 

चितलांगे ने पुनः एसबीआई अचलपुर शाखा को आवेदन दिया. 28 अगस्त को बैंक को लिखित में दिए आवेदन में लिखा है कि आप द्वारा 18 अगस्त को दी गई एनओसी अथवा प्रमाणपत्र के बावजूद आज तारीख तक मेरे पुत्र के नाम पर बतौर गारंटर लोन केस बताई जा रही है. आप तत्काल मेरे पुत्र सुमित का नाम सिबिल पर से हटाएं, अन्यथा मुझे आपके खिलाफ उचित न्यायालयीन कार्रवाई करनी पड़ेंगी.

* गोविंद चितलांगे ने पुलिस में की शिकायत
इस संदर्भ में परेशान गोविंद चितलांगे ने 27 अगस्त परतवाडा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में खुद के साथ हुए दुर्व्यवहार और अपमान की बात कहते हुए फर्जी कर्ज मामला दबाने की बात लिखित में बताई गई है. शिकायत में बताया गया है कि स्टेट बैंक अचलपुर ने 22 नवंबर 2003 को एक लोन केस में उनके पुत्र को गारंटर बताया है. उनके पुत्र की जन्म तारीख 26/12/1987 है. वर्ष 2003 में वो मात्र 15 वर्ष का और नाबालिग था. अज्ञान बालक को जमानतदार बनाकर तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों ने गलत व फर्जी काम किया है. पुलिस को प्रार्थना की गई है कि आज तारीख तक मेरे पुत्र के नाम पर कौन-कौन से कर्ज मामलों में इस प्रकार नाम शामिल किया गया है, इसकी खोज करना जरूरी है. इस एक केस से बैंक का बड़ा घोटाला सामने आने की संभावना है. 20 वर्षों के बाद एसबीआई ने मेरे पुत्र को गारंटर नहीं है, यह पत्र तो दिया. लेकिन अभी भी उसका नाम सिबिल पर से हटाया नही गया है. इसलिए इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर फौजदारी कार्रवाई की जाए. फर्जी कर्ज मामले में उनके बेटे सुमित का नाम इन्वॉल्व करने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने के लिए बैंक अधिकारियों पर भादंवि के अनुसार मामला दर्ज करने की अपील की गई है.

* रिजर्व बैंक से शिकायत
इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक नागपूर और मुंबई में लोकपाल, निदेशक/मुख्य प्रबंधक से शिकायत की गई है. इसके अलावा मुंबई स्थित रिजर्व बैंक में डॉ. रीना जैन और सुशांत कुमार कर से भी 20 अगस्त को शिकायत की गई.

* स्टेट बैंक को भी बताई बदतमीजी की कहानी
गोविंद चितलांगे ने 20 अगस्त को स्टेट बैंक झोनल कार्यालय नागपुर और स्टेट बैंक लोकल हेड ऑफिस मुंबई को भी शिकायत कर अपनी व्यथा लिखी है. गोविंद ने एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को बताया कि किस तरह एसबीआई अचलपुर के मैनेजर डोनिवाल और उमेश डोलस ने उन्हें लताड़ा. बदत्तर व्यवहार किया गया, घंटों उन्हें खड़े रखा और बोगस ऋण मामले में उन्हें फंसाने के षड्यंत्र रचा गया है. इन सब की जांच करने की मांग की गई.

* सिबिल पर से नाम हटाने कहा
26 अगस्त को गोविंद ने एक लिखित पत्र स्टेट बैंक अचलपुर को देकर उनके ऋण रिकार्ड से सुमित का नाम हटाने कहा है. तत्काल ऐसा नही करने पर न्यायालय में केस करने की सूचना भी दी गई. यहां बता दें कि गोविंद चितलांगे के परिवार उमा, सुमित और भाग्यश्री के नाम पर एसबीआई अचलपुर में सेविंग खाता क्रमांक 11373819897 है. दिलचस्प बात यह है कि उक्त खाता 28 अप्रैल 2003 में खोला गया था. उसी वर्ष 2003 के नवम्बर माह में बैंक द्वारा शरद श्रीकिसन को 80 हजार का लोन दिया. जिसमे सुमित चितलांगे को गारंटर दर्शाया गया है. जबकि उस समय सुमित चितलांगे की आयु 15 साल के आसपास थी. जिसका सीधा मतलब है कि, इस बैंक में फर्जी लोन केस बनाया गया, जिसके लिए चितलांगे परिवार के बचत खाते से संबंधित दस्तावेज चुराये गये.

* पुलिस महासंचालक और ग्रामीण अधीक्षक को भी भेजी प्रतिलिपि
गोविंद चितलांगे द्वारा अपने ऊपर हो रहे अत्याचार का विस्तृत विवरण राज्य पुलिस महानिदेशक और ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को भी बताया गया. अपनी हुई शारीरिक और मानसिक बेइज्जती के लिए मैनेजर डोनिवाल और अधिकारी डोलस को जिम्मेदार बताया गया.

* लोक सूचना में अर्जी की
24 अगस्त को स्टेट बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय अमरावती में आरटीआई अंतर्गत अर्जी करके पूछा गया है कि 23 नवंबर 2003 को शरद अग्रवाल व सुमित अग्रवाल को दिए शिक्षा ऋण में सुमित चितलांगे गारंटर है क्या? यदि है तो उसने इसके लिए कौनसे दस्तावेज बैंक में जमा करवाये है. वह उपलब्ध कराये जाये.
* पुणे में फ्लैट खरीदी को लेकर परेशान है सुमित इस बात को करीब एक माह बीत चुका है, लेकिन अब भी सुमित और गोविंद चितलांगे को स्टेट बैंक की ओर से अभी तक कोई भी राहत नही मिली है. इसके विपरीत पुणे में बिल्डर्स से फ्लैट का सौदा डन हो जाने से बिल्डर व दलाल रोजाना ही सुमित से संपर्क करते हुए फ्लैट की रकम मांग रहे है. जिससे सुमित अलग परेशान है. क्योेंकि समय पर रकम अदा नही देने करने पर उससे भारी भरकम पेनाल्टी देने की धमकी भी दी जा रही है. ऐसे में अब सुमित एकमुश्त 64 लाख की भारी भरकम रकम कहां से लाये, उसे यह चिंता सता रही है. इधर आज एक सितंबर 2022 तक एसबीआई अचलपुर ब्रांच से सिबिल हटाने के संदर्भ में कोई भी लिखित सूचना अथवा पत्र प्राप्त नही हुआ है.

* बदतमीजी व बदइंतजामी का अड्डा बनी एसबीआई
भगवान के मंदिर में सरकारी नौकरी मिलने की प्रार्थना करते, नतमस्तक होते लोगो को नौकरी मिलते ही कितनी मस्ती चढ़ती है, इसका झकास उदारहण है सुमित चितलांगे का यह केस. स्टेट बैंक अचलपुर के सभी अधिकारी-कर्मचारी इस बैंक को अपने बाप की जागीर समझकर काम करते है. गोविंद चितलांगे तो वो व्यक्ति है, जिसने इनका भंडाफोड़ किया है. यहां रोजाना सैकड़ों लोगो को लताड़ा जाता है, बदतमीजी की जाती है और बिना वजह ग्राहकों को डांट डपट कर हकलाने का काम मैनेजर नविनकुमार डोनिवाल ,उमेश डोलस और अन्य सभी कर रहे है.

* कोर्ट में करेंगे दावा
स्वयं की और अपने पुत्र की हुई बेइज्जती का पाई-पाई हिसाब वसूल करने की बात स्टेट बैंक पीड़ित गोविंद चितलांगे ने प्रस्तुत प्रतिनिधि से कही है. उन्होंने कहा कि मेरे पुत्र को फर्जी लोन केस में फंसाने के काम स्थानीय बैंक अधिकारियों व कर्मचारियो ने किया और वर्तमान में कार्यरत बैंक मैनेजर डोनिवाल और उमेश डोलस ने मेरे जैसे दिव्यांग व्यक्ति को पंद्रह दिनों तक चक्कर काटने लगाए, घंटो खड़े रखा, बदतमीजी की, ठीक जवाब नही दिया, मुझे जलील करके भगा दिया, आदि सभी के लिए मैं कोर्ट ऑफ लॉ में 5 करोड़ रुपये का दावा दाखिल करूंगा. बैंक के बदतमीज अधिकारी ध्यान रखें कि मैं अपने देश का एक जागरूक इनकम टैक्सपेयी व्यक्ति हूँ. कोर्ट में उनसे हर अपमान का जवाब मांगा जाएगा. इसके साथ ही अपने प्रगतिशील भविष्य को अंधकारमय बनाने के लिए सुमित द्वारा भी पुणे कोर्ट में स्वतन्त्र रूप से 10 करोड़ की नुकसान भरपाई का दावा दाखिल करने की बात गोविंद ने कही है.

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