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आधे शहर में 4 दिन बाद आए नल

एकी-बेकी के चक्कर की वजह से हैरान रहे आधे शहरवासी

अमरावती/दि.29 – विगत सोमवार 27 मार्च को महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के स्थानीय जल व्यवस्थापन विभाग ने शहर के आधे हिस्से में होने वाली जलापूर्ति को एक दिन के लिए बंद रखा था. क्योंकि 27 मार्च को सिंभोरा में सौर उर्जा से संबंधित कुछ काम करने थे. यद्यपि यह जलापूर्ति कहने के लिए एक दिन हेतु बंद रखी गई थी. परंतु इसका खामियाजा आधे शहर को करीब 4 दिन तक भुगतना पडा और विषम संख्या वाली तारीख पर पानी छोडे जाने वाले इलाकों में 25 मार्च के बाद आज 29 मार्च को यानि 4 दिन पश्चात जलापूर्ति की गई. ऐसे में जिन इलाकों में 25 मार्च को जलापूर्ति हुई थी. उन क्षेत्र के लोगों को इन 4 दिनों के दौरान एक-एक घूंट पानी भी गिन-गिनकर पीना पडा. साथ ही पानी का इस्तेमाल करते समय एक-एक बूंद पानी को सहेजना पडा. हालांकि इसके बावजूद 25 मार्च को भरकर रखा गया पानी कई लोगों के यहां खत्म हो गया. जिसके चलते ऐसे लोग पानी संबंधी जरुरत को पूरा करने के लिए कुओं तथा हैंडपंप के चक्कर काटते देखे गए.
उल्लेखनीय है कि, जीवन प्राधिकरण द्बारा अमरावती व बडनेरा शहर के अलग-अलग इलाकों में एक-एक दिन की आड में पानी छोडा जाता है. जिसके लिए एकी-बेकी वाली व्यवस्था को अमल में लाया जाता है. इसके तहत शहर को अपर व लोअर ऐसे दो हिस्सों में विभाजीत करते हुए सम व विषम संख्या वाली तारीखों पर अलग-अलग इलाकों में जलापूर्ति करने का नियोजन तय किया गया है. ऐसे में किसी भी सम अथवा विषम संख्या वाली तारीख पर जलापूर्ति बंद रहने के चलते संबंधित क्षेत्र के लोगों को सीधे 4 दिन तक सूखे का सामना करना पडता है. क्योंकि यदि नियोजित तारीख पर जलापूर्ति बंद रही, तो उसके अगले दिन जीवन प्राधिकरण द्बारा अपने नियोजन में सुधार करते हुए संबंधित इलाके में पानी नहीं छोडा जाता, बल्कि एकी-बेकी वाले फार्मूले पर अमल करते हुए तारीख वाले ढर्रे पर अमल किया जाता है. ताजा मामले में ही कुछ ऐसा ही हुआ. जिसके तहत एकी वाले इलाकों में 25 मार्च को पानी छोडा गया. जिसके पश्चात शाम होते-होते बताया गया कि, 27 मार्च को होने वाली जलापूर्ति बंद रहेगी. पश्चात बेकी वाले इलाकों में 26 मार्च व 28 मार्च को नियमित रुप से जलापूर्ति हुई. वहीं एकी वाले इलाकों में 27 मार्च को होने वाली जलापूर्ति बंद रही और इन इलाकों में सीधे आज 29 मार्च को पानी छोडा गया. जबकि जीवन प्राधिकरण ने अपने नियोजन में थोडा सा बदलाव करते हुए एकी वाले इलाकों में 27 मार्च को की जाने वाली जलापूर्ति 28 मार्च को करनी थी और बेकी वाले इलाकों में 28 मार्च को होने वाली जलापूर्ति बंद रखते हुए 29 मार्च से एक-एक दिन की आड वाला हिसाब शुरु करना था. ताकि किसी एक इलाके को बेवजह को तकलीफ न हो, परंतु कहा जा सकता है कि, सरकारी महकमों में तय लकीर पर चलने की आदत होती है और नियमों को लोगों की सुविधा के हिसाब से चलाने की बजाय लोगों को नियमों के हिसाब से चलाने का प्रयास किया जाता है. जिसकी वजह से आम लोगों को हमेशा ही खामियाजा भुगतना पडता है.
कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, विगत वर्ष भी ऐन गर्मी के मौसम दौरान दो से तीन बार जीवन प्राधिकरण की पाइप-लाइन में लिकेज होने की वजह से बंद हुई जलापूर्ति को दुबारा शुरु करते समय भी जीवन प्राधिकरण द्बारा लोगों की समस्या और दिक्कतों को देखने की बजाय अपने एकी-बेकी के नियम का कडाई के साथ पालन किया गया था. जिसकी वजह से आधे शहर को तो विशेष तकलीफ नहीं हुई. लेकिन बचा हुआ आधा शहर इसी एकी-बेकी की वजह से कुछ ज्यादा दिनों तक पानी के लिए तरसता रहा.

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