अमरावती

बच्चों में बढ रहा जंतदोष

शाला व अंगणवाडी बंद रहने से दवाई वितरण है ठप्प

अमरावती/दि.१३- विगत डेढ़ वर्ष से कोविड की बीमारी पीछा ही नहीं छोड़ रही. जिसका सीधा असर छोटे बच्चों पर पड़ रहा है. क्योंकि विगत डेढ वर्ष से सभी शालाए व आंगणवाड़िया बंद है. जिससे जंतनाशक गोलियों का वितरण नहीं हो पाया है. ऐसे में छोटे बच्चों में जंतदोष का प्रमाण लगातार बढ़ रहा है. बता दे कि जंतनाशक गोलियों के वितरण का अभियान साल में दो बार यानी प्रत्येक ६ माह में एक बार चलाया जाता है. क्योंकि इस समय भी सभी स्कूल व आंगणवाड़िया बंद पड़ी है. ऐसे में इस वर्ष यह अभियान चलाया जायेगा अथवा नहीं इसे लेकर अनिश्चितता देखी जा रही है.
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जरूरत से अधिक मीठे पदार्थ खाने, खुले में शौच हेतु जाने तथा हाथों की सही ढंग से सफाई नहीं करने जैसी वजहों के चलते बच्चों में जंतदोष की शिकायत होती है. जिसका समय पर ईलाज नहीं करने पर उल्टी, अपचन, रक्तक्षय व डायरिया जैसी बीमारियां होने की संभावना होती है. इस समय ऐसी बीमारियों से पीडित कई बच्चे अस्पतालों मेंं भर्ती है. जंतदोष की वजह से होनेवाली बीमारियां बच्चों में एकाग्रता भी कम कर सकती है. इसके लिए छोटे बच्चों को जंतनाशक गोलिया दी जाती है और गोलियों का वितरण प्रत्येक ६ माह में करना बेहतर अनिवार्य है. किंतु विगत एक वर्ष से शालाएं व अंगणवाड़िया बंद रहने के चलते यह अभियान ठप्प पड़ा हुआ है. जिसकी वजह से छोटे बच्चों में जंतदोष का प्रमाण बढ रहा है.

* क्या है जंतदोष

जंतदोष यद्यपि सर्वसाधारण बीमारी मानी जाती है. किंतु यदि इसका समय पर ईलाज नहीं किया गया तो बच्चों को इससे गंभीर दुष्परिणामों का सामना करना पडता है. साथ ही कई बार जंतदोष से पीडित बच्चे कुपोषण का भी शिकार हो सकते है. ऐसे में जंतदोष का समय पर ईलाज किए जाने की जरूरत स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त की जाती है.

* शौचालय का नियमित प्रयोग जरूरी

बच्चों में जंतदोष पाए जाने की प्रमुख वजहोंं में से एक वजह खुले में शौच हेतु जाना भी है. विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. ऐसे में छोटे बच्चों को शौच हेतु खुले में भेजा जाता है. इसके अलावा जंतदोष को टालने हेतु समय समय पर हाथ धोना व साफ सफाई पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है. किंतु शौच हेतु बाहर जाने पर इसकी व्यवस्था नहीं होती. इस वजह से भी जंतदोष के बढने व फैलने का खतरा अधिक होता है.

* दवाई का स्टॉक उपलब्ध है

कोविड संक्रमण के काल के दौरान जंतुनाशक दवाईयों के वितरण का अभियान नहीं चलाया गया. जिसकी वजह से पिछले साल का स्टॉक अब भी बचा हुआ है. जिसकी एक्सपायरी डेट अभी खत्म नहीं हुई. ऐसे में इस वर्ष अभियान चलाने का आदेश प्राप्त होने पर दवाईयां मिलने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. बल्कि आशा वर्कर के माध्यम से उपलब्ध स्टॉक का वितरण किया जायेगा. किंतु अब तक दवाईयों के वितरण को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है.
अमोल वारकरी, औषध निर्माण अधिकारी

* सितंबर में चलाया जाता है अभियान

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार २८ फीसद बच्चों में जंतदोष पाया जाता है. जिसे खत्म करने हेतु जंतनाशक गोलियों का प्रयोग किया जाता है. अमूमन यह अभियान सितंबर माह में चलाया जाता है. किंतु इस वर्ष इस अभियान को चलाने के संदर्भ में सरकारी स्तर से कोई निर्देश नहीं मिले है और कोविड संक्रमण काल के दौरान यह अभियान नहीं चलाया गया.
डॉ.दिलीप रणमले, जिला स्वास्थ्य अधिकारी

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