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अब जिलास्तरीय समितियों पर रहेगा भाजपा का बोलबाला

सभी समितियों में बदल जायेंगे राजनीतिक समीकरण

अमरावती/दि.31- राज्य में महाविकास आघाडी सरकार का पतन होने के चलते शिंदे-भाजपा सरकार के अस्तित्व में आने के बाद अब जिलास्तरीय कार्यकर्ताओं को विभिन्न समितियों में की जानेवाली नियुक्ति की प्रतीक्षा है. सामान्य कार्यकर्ता को सत्ता में हिस्सेदारी देनेवाली समितियों में सत्ता में शामिल दलों की ताकत के अनुसार नियुक्ति के सूत्र तय होते है. इस बार राज्य की सत्ता में भाजपा और शिंदे गुट ऐसे दो ही हिस्सेदार है. इसमें भी अमरावती जिले में शिंदे गुट की कोई विशेष उपस्थिति व ताकत नहीं है. जिसके चलते जिले की अलग-अलग समितियों में भाजपा के ही सदस्यों का दबदबा रहने की पूरी संभावना है.
महाविकास आघाडी सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल दौरान जिले की कुछ सरकारी समितियों का अपवाद छोडकर अधिकांश समितियों का गठन ही नहीं हो पाया. उस समय राज्य की सत्ता में हिस्सेदार रहनेवाले कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना व प्रहार इन चार दलोें के कार्यकर्ताओं को उस समितियोें में शामिल किया गया था. जिसके लिए जिले की तत्कालीन पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने अगुआई की थी. किंतु कुछ जिलाध्यक्षों के स्तर पर कार्यकर्ताओं की सूची भी तैयार नहीं की गई और समितियां स्थापित होने से पहले ही महाविकास आघाडी के हाथ से राज्य की सत्ता भी चली गई. वहीं अब शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता में आने के चलते समितियों में नियुक्ति का पुराना फार्मूला निश्चित रूप से बदल जायेगा और सरकारी समितियों में शिंदे गुट व भाजपा इन दो दलों के कार्यकर्ताओं को अवसर मिलेगा. ऐसे में अमरावती जिले के सभी प्रमुख भाजपा कार्यकर्ताओं की आशाएं पल्लवीत हो गई है. क्योंकि अमरावती जिले में शिंदे गट की कोई ताकत भी नहीं है. ऐसे में सभी समितियों में भाजपा पदाधिकारियों का ही बोलबाला रहेगा.

* ऐसी है समितियां
जिला स्तर पर करीब 22 व तहसील स्तर पर 10 से 12 समितियां रहती है. इसमें से पालकमंत्री की अध्यक्षता में 14 से 15 समितियों द्वारा काम किया जाता है. महाविकास आघाडी के ढाई वर्ष के कार्यकाल दौरान जिला नियोजन व संजय गांधी निराधार जैसी समितियों में गैर सरकारी सदस्यों को मौका मिला था, किंतु ये नियुक्तियां होकर अभी कुछ ही दिन बीते थे कि, महाविकास आघाडी की सरकार चली गई. वही समिती की बैठक से पहले ही राज्य की नई शिंदे-भाजपा सरकार ने पिछली सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों को रद्द कर दिया.

* शिंदे गुट की ओर से मिल सकते है ज्यादा मौके
जिले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना को ताकत प्रदान करते हुए मजबुत करने के लिए शिंदे गुट के साथ आनेवाले शिवसैनिकों को ज्यादा अवसर मिलने की संभावना है. ऐसे में शिवसैनिकों का ध्यान भी विभिन्न समितियों के गैर सरकारी सदस्य पदों की ओर लगा हुआ है. वही देखनेवाली बात यह भी है कि, अब तक उध्दव ठाकरे के साथ शामिल रहनेवाले शिवसैनिक आगे भी ‘मातोश्री’ के साथ ही एकनिष्ठ रहते है या फिर सामने दिखाई दे रहे मौके का लाभ उठाते है.

* 2019 मेें गठित समितियां बरखास्त
नवंबर 2019 के दौरान राज्य में सत्ता परिवर्तन होकर महाविकास आघाडी की सरकार गठित की गई थी और उस समय जिला व तहसील स्तरीय सरकारी समितियों को बरखास्त कर दिया गया था. जिसके चलते सालोंसाल पार्टी के लिए काम करनेवाले कार्यकर्ताओें द्वारा इन समितियों में अपनी नियुक्ति होने को लेकर उम्मीदें बंधती दिखाई दी थी. किंतु महाविकास आघाडी सरकार के कार्यकाल दौरान अधिकांश समितियों का पुनर्गठन ही नहीं हुआ. उल्लेखनीय है कि, चुनाव लडने के इच्छुक हर एक नेता व पदाधिकारी को पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिया जा सकता, जिससे कई बार राजी-नाराजी पैदा होती है. जिसे दूर करने हेतु राजनीतिक दलों के पास अपने नाराज सदस्यों को समितियों में अशासकीय सदस्यों के तौर पर नियुक्त करने का पर्याय होता है.

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