अब विवाह में माता-पिता की उपस्थिति भी रहेगी अनिवार्य
पथ्रोट के आर्य समाज मंदिर ने पारित किया अनूठा प्रस्ताव
परतवाडा/दि.4 – यहां से पास ही स्थित पथ्रोट के आर्य समाज मंदिर मे ंविवाह पंजीयन संस्था रहने के चलते आर्य समाज मंदिर में कई विवाह जोडों के विवाह होते है. साथ ही कई बार अपने घर-परिवार में किसी को बिना बताये प्रेमी जोडों द्वारा आर्य समाज मंदिर में गुपचूप तरीके से प्रेम विवाह भी कर लिये जाते है. जिसके चलते कई बार आर्य समाज मंदिर को संबंधित परिवारों के विरोध व गुस्से के साथ ही अदालती कार्रवाई का भी सामना करना पडता है. इस बात के मद्देनजर अब पथ्रोट स्थित आर्य समाज मंदिर की कार्यकारिणी ने प्रस्ताव पारित किया है कि, अब आर्य समाज मंदिर में आयोजित होने वाले विवाह में दुल्हा एवं दुल्हन के माता-पिता की उपस्थिति भी अनिवार्य रहेगी और दोनों पक्षों के अभिभावकों की साक्षी में ही विवाह संपन्न कराया जाएगा. पथ्रोट के आर्य समाज मंदिर द्वारा लिये गये इस अनूठे निर्णय का हर ओर स्वागत किया जा रहा है.
बता दें कि, पथ्रोट में 16 जुलाई 1935 को आर्य समाज मंदिर की स्थापना ठाकरे गुरुजी के नेतृत्व में हुई थी और तत्कालीन सरकार ने हिंदू मैरेज एक्ट 1935 के प्रावधानानुसार आर्य समाज मंदिर को आर्य समाज मैरेज वैलिडेशन 1937 के तहत विवाहविधि संपन्न कराने और विवाह पंजीयन कराने का अधिकार दिया था. चूंकि आर्य समाज मंदिर में बिना किसी तामझाम के बेहद कम खर्च में शादी संपन्न हो जाती है. जिसके चलते कई परिवारों द्वारा अपने विवाह योग्य बच्चों की शादियां आर्य समाज मंदिर में कराई जाती है. साथ ही साथ कई बार प्रेमी जोडों द्वारा अपने माता-पिता को बिना बताए या घर से भागकर आर्य समाज मंदिर मेें आकर प्रेम विवाह कर लिया जाता था. ताकि आर्य समाज मंदिर में पंजीकृत रहने वाले उनके विवाह को कहीं से कोई चुनौती न मिल सके. लेकिन ऐसे प्रेमविवाहों की वजह से आर्य समाज मंदिर के पदाधिकारियों को कई तरह की समस्या का सामना करना पडता था और कई बार संबंधित परिवारों द्वारा दायर किये जाने वाले मुकदमों की वजह से आर्य समाज मंदिर के पदाधिकारियों का काफी समय अदालती कार्रवाई में भी नष्ट होता था. इसके अलावा विगत कई वर्षों से आर्य समाज मंदिर की कार्यकारिणी में भी आपसी विवाद चल रहे थे और कुछ मामले तो पुलिस थाने तक भी पहुंचे थे. जिसके चलते कुछ समय पहले ही आर्य समाज मंदिर की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया और इस नई कार्यकारिणी में अब तक के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया कि, अब आर्य समाज मंदिर में विवाह हेतु आने वाले प्रेमी युगलों के लिए भी उनके अभिभावकों की सहमति व उपस्थिति रहना अनिवार्य रहेगा. जिसके लिए वर एवं वधु के अभिभावकों को 5 दिन पहले ही आर्य समाज मंदिर में उपस्थित रहकर अपनी सहमति देना होगा. अन्यथा इसके बिना आर्य समाज मंदिर में किसी भी युगल का विवाह नहीं कराया जाएगा.