अमरावती

… अन्यथा हम जेल भरो आंदोलन करेंगे

पत्रवार्ता में पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दी चेतावनी

* प्रशासन पर लगाया भाजपाईयों पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप

* बोले : जो हुआ गलत हुआ, पर अब और भी गलत हो रहा

* कल अमरावती पहुंचकर फडणवीस ने की हालात की समीक्षा

अमरावती/दि.22- विगत शुक्रवार व शनिवार को अमरावती शहर में घटित हिंसक वारदातों के बाद पुलिस द्वारा केवल भाजपा कार्यकर्ताओें के खिलाफ ही कार्रवाईयां की जा रही है. साथ ही कई ऐसे कार्यकर्ताओं को भी आरोपित किया जा रहा है. जिनका किसी भी मामले से कोई लेना-देना नहीं था. यह पूरी तरह से बदले की भावना और एकतरफा सोच के तहत की जा रही कार्रवाईयां है. यदि भाजपा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का सत्र नहीं रोका गया, तो जल्द ही भाजपा द्वारा जेल भरो आंदोलन किया जायेगा और सभी भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता खुद अपनी गिरफ्तारियां देंगे. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया गया है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस विगत शुक्रवार व शनिवार को अमरावती शहर में हुई हिंसक व तनावपूर्ण घटनाओं का जायजा लेने हेतु गत रोज अमरावती पहुंचे. यहां पर शहर के विभिन्न तनावपूर्ण इलाकों का दौरा करने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मसानगंज परिसर में हुई चाकूबाजी के चलते घायल हुए युवक का रेडियंट अस्पताल जाकर हालचाल भी जाना. जिसके बाद उन्होंने स्थानीय सरकारी विश्रामगृह में बुलाई गई पत्रकार परिषद में स्थानीय मीडिया कर्मियों से संवाद साधा. इस पत्रवार्ता में उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विगत 12 व 13 नवंबर को हुई हिंसा व तोडफोड के असल जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने की मांग उठाते हुए कहा कि, जानबूझकर किसी भी बेकसूर को इस मामले में नहीं फंसाया जाना चाहिए. यदि ऐसा होता है, तो भाजपा की ओर से जेल भरो आंदोलन किया जायेगा और समूचे राज्य में भाजपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी गिरफ्तारियां दी जायेगी. इस पत्रवार्ता में नेता प्रतिपक्ष फडणवीस के साथ राज्य के पूर्व उर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, विधायक प्रताप अडसड, महापौर चेतन गावंडे, मनपा के सभागृह नेता तुषार भारतीय, भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर, ग्रामीण जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी, पूर्व शहराध्यक्ष जयंत डेहनकर तथा जेष्ठ विधिज्ञ एड. प्रशांत देशपांडे उपस्थित थे.

* 12 नवंबर को लेकर पालकमंत्री व प्रशासन की चुप्पी क्यों

इस पत्रकार परिषद में पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि, विगत 12 व 13 नवंबर को अमरावती शहर में जो कुछ भी हुआ, वह निश्चित तौर पर दुर्भाग्यजनक है और इन दोनों दिनों के दौरान हुई हिंसा व तोडफोड का कतई समर्थन नहीं किया जा सकता. किंतु यदि 12 नवंबर की घटना नहीं होती, तो 13 नवंबर को भी यह नौबत नहीं आती. ऐसे में प्रशासन द्वारा सबसे पहले 12 नवंबर की घटना के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी अपेक्षित है. किंतु अमरावती की पालकमंत्री और यहां का प्रशासन 12 नवंबर की घटना को लगभग ढांकने व छिपाने का प्रयास कर रहे है. वहीं 13 नवंबर के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को बाकायदा सूची बनाकर चुन-चुनकर उठाया जा रहा है. भाजपा के जिन नेताओं, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं का 13 नवंबर के बंद व आंदोलन में सहभाग था, उनकी गिरफ्तारी पर हमें कोई आक्षेप नहीं. किंतु एक ही मामले को लेकर एक ही व्यक्ति के खिलाफ चार-चार, पांच-पांच अपराध दर्ज किये जा रहे है. साथ ही कई बेकसूर कार्यकर्ताओं को भी नामजद किया जा रहा है. जिससे पालकमंत्री और प्रशासन का हेतु व उद्देश्य समझ में आ रहे है. इसके कदापि बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. यह सीधे-सीधे तुष्टिकरण की नीति है.

* फर्जी खबर फैलानेवालों और धार्मिक भावनाएं उकसानेवालों को सामने लाये सरकार

इस पत्रवार्ता के दौरान फडणवीस ने यह भी कहा कि, त्रिपुरा की जिस घटना को आधार बनाकर यह सबकुछ हुआ है, हकीकत में ऐसी कोई घटना त्रिपुरा में घटित ही नहीं हुई, बल्कि सीपीआयएम के जलते हुए ऑफिस को जलती हुई मस्जिद दिखाया गया और दिल्ली सहित पाकिस्तान की कुछ घटनाओं को त्रिपुरा का बताते हुए उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किये गये. जिसके तुरंत बाद त्रिपुरा सरकार ने अपनी ओर से स्पष्टीकरण भी जारी किया. किंतु इसके बावजूद विगत 8 नवंबर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने इसी घटना को लेकर एक ट्विट किया. जिसके बाद बंद और आंदोलन की बातें होने लगी. यह सब एक क्रोनोलॉजी का हिस्सा था. अत: अब सरकार ने हम पर आरोप लगाने की बजाय इस बात की जांच करनी चाहिए कि, हकीकत में इन तमाम घटनाओं के पीछे किसका मास्टर माइंड काम कर रहा था और क्यों बीते शुक्रवार को बिना अनुमति निकाले गये मोर्चे की जानकारी खुफिया विभाग व पुलिस के पास नहीं थी. साथ ही हजारों लोगों की भीड को जिलाधीश कार्यालय तक कैसे पहुंचने दिया गया.

* हम रजा अकादमी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते है

इस पत्रवार्ता के दौरान जब पूछा गया कि, विगत दिनों भाजपा नेता आशिष शेलार व रजा अकादमी के लोगों के फोटो सामने आये थे, तो नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, ऐसा फोटो तो रजा अकादमीवालों के साथ मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे का भी है. साथ ही रजा अकादमी को भाजपा की बी-टीम बताये जाने पर उन्होंने कहा कि, भाजपा का एक जिम्मेदार पदाधिकारी होने के नाते वे इस मंच से रजा अकादमी पर प्रतिबंध लगाये जाने की मांग करते है. यदि कांग्रेस में दम है, तो महाविकास आघाडी सरकार के जरिये रजा अकादमी को प्रतिबंधित करके दिखाये.

 कांग्रेस कर रही वोट बैंक की राजनीति

इस पत्रवार्ता में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने साफ तौर पर कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कि, कांग्रेस का जनाधार बडी तेजी से खिसक रहा है और अब सभी का इस पार्टी से मोहभंग हो चुका है. ऐसे में कांग्रेस द्वारा अल्पसंख्यकों में भय का वातावरण तैयार कर उन्हें अपने पक्ष में एकजूट करने हेतु धृ्रवीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके तहत त्रिपुरा की तथाकथित घटना को आधार बनाकर पहले अल्पसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को भडकाया गया और फिर उन्हें हिंसा व तोडफोड करने के लिए उकसाया गया. किंतु यदि जानबूझकर हिंदू समाज को निशाना बनाया जायेगा, तो इसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. फडणवीस ने इस पूरी पत्रवार्ता के दौरान दोहराया कि, यदि 12 नवंबर को अमरावती शहर में निकाले गये मोर्चे के दौरान कोई तोडफोड नहीं होती, तो निश्चित तौर पर 13 नवंबर को भी किसी तरह की कोई घटना नहीं होती.

* जवाब नहीं दिया, केवल प्रतिकार किया

प्रस्तुत प्रतिनिधि द्वारा यह पूछे जाने पर कि जब 12 नवंबर की शाम व्यापारी संगठनों द्वारा पुलिस प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया जा चुका था और पुलिस भी तोडफोड व पथराव के आरोपियों की धरपकड कर रही थी, तो 13 नवंबर को 12 नवंबर का जवाब देने की इतनी जल्दबाजी क्यों थी, इस सवाल पर नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, हमने किसी को कोई जवाब या प्रत्युत्तर नहीं दिया है, बल्कि 12 नवंबर की शाम जो कुछ घटित हुआ, उसे लेकर शांतिपूर्ण ढंग से अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह संदेश देने का प्रयास किया है कि, भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. फडणवीस के मुताबिक 13 नवंबर का बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण था. यदि उस दिन भी राजकमल चौराहे पर एकत्रित हुए लोगों पर पथराव नहीं किया जाता, तो वह प्रदर्शन भी पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहता. किंतु हवा में तलवार लहराते हुए और पत्थरबाजी करते हुए लोगों की भीड ने राजकमल चौराहे पर एकत्रित हुजुम को उत्तेजीत करने का प्रयास किया. जिसके बाद हालात बेकाबू हुए. किंतु इसके बावजूद भी किसी भी तरह की हिंसा, तोडफोड व आगजनी का समर्थन नहीं किया जा सकता.

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