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….वरना, मेलघाट के बांधों से पानी छोडना रोक देंगे

विधायक राजकुमार पटेल ने सरकार को दी चेतावनी

* धनगरों को आदिवासी संवर्ग में आरक्षण देने का किया विरोध
* आदिवासी युवाओं को रोजगार देने पेसा भर्ती शुरु करने की उठाई मांग
अमरावती/मुंबई/दि.30 – आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र के कई युवा पढाई-लिखाई पूरी करने के बावजूद भी बेरोजगार घूम रहे है. वहीं मेलघाट क्षेत्र में रिक्त रहने वाले पदों पर सरकार द्वारा बाहरी लोगों की नियुक्ति की जा रही है. जिसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए और पेसा कानून अंतर्गत पदभर्ती करते हुए मेलघाट के स्थानीय आदिवासी युवाओं को नौकरी व रोजगार दिया जाना चाहिए. इस आशय की मांग उठाने के साथ ही मेलघाट क्षेत्र के विधायक राजकुमार पटेल ने धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति यानि आदिवासी संवर्ग के तहत आरक्षण दिये जाने का भी प्रखर विरोध किया और कहा कि, यदि सरकार द्वारा आदिवासी समाज के हितों की अनदेखी की गई, तो मेलघाट में स्थित वाण, शहानुर, सापन व चंद्रभागा सिंचाई प्रकल्पों से अन्य क्षेत्रों के लिए पानी छोडना बंद करा दिया जाएगा.
आदिवासी बहुल क्षेत्रों की समस्याओं को लेकर आज राज्य के अन्य कुछ आदिवासी विधायकों के साथ विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल से मुलाकात करने हेतु मुंबई मंत्रालय पहुंचे. विधायक राजकुमार पटेल ने इस मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस समय विधायक राजकुमार पटेल ने सवाल भी दागा कि, अगर बाहर के लोग मेलघाट में आकर नौकरियों करेंगे, तो मेलघाट के पढे-लीखे युवाओं ने केवल मेहनत मजदूरी और बकरियां चराने का ही काम करना चाहिए क्या और क्या उन्हें सरकारी नौकरियों में आने का कोई अवसर नहीं मिलेगा. विधायक राजकुमार पटेल के मुताबिक अन्य क्षेत्रों के अभिभावकों की तरह ही मेलघाट क्षेत्र के आदिवासी अभिभावक भी अपने बच्चों को पाई-पाई जोडकर तथा कर्ज निकालकर पढाते-लिखाते है और उच्च शिक्षा दिलाते है. जिसके चलते क्षेत्र के कई युवा बीए व बी. कॉम की पढाई करने के साथ ही बी.एड की पदवी प्राप्त हैं. साथ ही कई युवाओं ने नर्सिंग का भी कोर्स कर रखा है. जिन्हें शिक्षक एवं स्वास्य कर्मी के तौर पर सरकारी सेवाओं में लिया जा सकता है. आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में शिक्षकों व स्वास्थ्य कर्मियों की पहले ही काफी कमी है, क्योंकि बाहरी क्षेत्रों के कर्मचारी यहां आना ही नहीं चाहते और जो कर्मचारी आते भी है, उन्हें यहां की भौगोलिक स्थिति व चुनौतियों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती. ऐसे में यदि सरकार द्वारा पेसा कानून अंतर्गत भर्ती शुरु करते हुए स्थानीय युवाओं की नियुक्ति करती है, तो मेलघाट में शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा बेहतर तरीके से काम हो सकता है.
इसके साथ ही धनगर समाज को आदिवासी संवर्ग में शामिल करते हुए एसटी संवर्ग हेतु उपलब्ध आरक्षण दिये जाने को लेकर जारी गतिविधियों का भी विधायक राजकुमार पटेल ने पूरजोर विरोध करते हुए कहा कि, वे किसी भी समाज को आरक्षण दिये जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन आदिवासी संवर्ग में किसी अन्य समाज को शामिल कर आरक्षण दिये जाने के प्रयासों को बर्दाश्त भी नहीं किया जाएगा. सरकार चाहे, तो धनगर समाज को अलग से आरक्षण दे सकती है, लेकिन उन्हें एसटी संवर्ग में बिल्कुल भी शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि धनगर समाज यह एक जाति है और कोई जनजाति नहीं. अत: एसटी संवर्ग में धनगर समाज का समावेश नहीं किया जा सकता.

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