चुनावी गहमागहमी से राजनीतिक वातावरण हुआ ‘टाईट’
मौसम के साथ-साथ जिले में राजनीति भी गरमा रही
अमरावती /दि.23– जैसे-जैसे 26 अप्रैल को होने वाला मतदान का दिन नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे शहर के चौक चौराहों तथा गांवों की चौपालों पर चुनावी चर्चाएं जोर पकडने लगी है. साथ ही जिले में गर्मी के मौसम के साथ-साथ राजनीतिक वातावरण भी जमकर तपने लगा है. हर कोई अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक अनुमान लगा रहा है और प्रत्येक कार्यकर्ता अपनी पार्टी और प्रत्याशी की स्थिति किस तरह से मजबूत है. यह स्थापित करने के प्रयास में लगा हुआ है. हर ओर से किये जाते राजनीतिक दावों व प्रतिदावों की वजह से जिले में राजनीतिक वातावरण काफी हद तक तंग यानि ‘टाईट’ होता नजर आ रहा है.
इस समय गांव-गांव में चुनाव को लेकर जबर्दस्त माहौल है. लोकसभा चुनाव को वैसे भी लोकतंत्र का लोकोत्सव कहा जाता है और इस लोकमहोत्सव को लेकर सभी में जबर्दस्त उत्साह व उत्सुकता भी देखी जा रही है. जिसके चलते भले ही चुनाव होने में अभी कुछ वक्त बाकी है तथा चुनाव के परिणाम मतदान के करीब सवा माह बाद आएंगे. लेकिन चुनाव में किसका पलडा भारी रहेगा तथा इस बार के चुनाव में कौन बाजी मारेगा, इसे लेकर अभी से ही जमकर चर्चाएं चल रही है.
बता दें कि, अमरावती संसदीय क्षेत्र में इस बार होने जा रहे चुनाव में महाविकास आघाडी, महायुति, प्रहार जनशक्ति पार्टी, रिपब्लिकन सेना व बसपा के प्रत्याशियों सहित निर्दलीय प्रत्याशी मिलाकर कुल 37 उम्मीदवार मैदान में है. जिसके चलते कौनसा उम्मीदवार जीतेगा, कौन किसके वोट काटेगा तथा किसे हार का सामना करना पडेगा, इसकी चर्चाएं चलने के साथ-साथ मुख्य तौर पर किन दो प्रत्याशियों के बीच भिडंत होगी. इसे लेकर जबर्दस्त चर्चाएं चल रही है. साथ ही इन चर्चाओं की वजह से राजनीतिक वातावरण गरमाने के साथ-साथ माहौल काफी ‘टाईट’ भी होता जा रहा है.
* कार्यकर्ताओं की रुची रात के ‘खर्च पानी’ में
ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में लोकसभा चुनाव को लेकर उत्साह काफी कम दिखाई दे रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्ग व अनुभवी लोग लोकसभा चुनाव पर चर्चा करने के साथ ही विधानसभा चुनाव को लेकर समिकरण जोड रहे है. वहीं दूसरी ओर युवाओं का रुझान इस बात को लेकर है कि, लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी भले कोई भी हो, लेकिन उनका रात का ‘खर्चा पानी’ निकलना चाहिए. इसके चलते कई युवा हर ओर ‘टटोलने’ पर जोर दे रहे है.
* पुराने जानकारों द्वारा कसा जा रहा अनुभव को
ग्रामीण क्षेत्रों की चौक-चौराहों व चौपालों में सुबह अथवा शाम के वक्त बुजुर्गों की मंडली कामकाज निपटने के बाद चर्चा करने हेतु अक्सर ही बैठा करती है. जहां पर इन दिनों सभी बुजुर्गों द्वारा अपने-अपने अनुभवों के आधार पर राजनीतिक कयास लगाये जा रहे है. इस समय बुजुर्गों के बीच होने वाली चर्चा में गांव के युवा भी शामिल हो जाते है और युवाओं द्वारा बुजुर्गों की चर्चाओं का जमकर आनंद भी लिया जाता है.