हत्यारोपी पति को आजीवन कारावास की सजा
भोजन नहीं बनाने को लेकर पत्नी से की थी मारपीट
* इलाज के दौरान पत्नी सरला पवार की हुई थी मौत
* एड. सोनाली क्षीरसागर ने की सफल पैरवी
अमरावती/दि.14– स्थानीय चतुर्थ जिला न्यायाधीश श्रीमती एस. ए. सिन्हा की अदालत ने मंगरूल चव्हाला के पारधी बेडा निवासी सिध्दार्थ नेत्रबंध पवार नामक 45 वर्षीय व्यक्ति को उसकी पत्नी सरला सिध्दार्थ पवार की हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास के साथ ही 10 हजार रूपये के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा नहीं करने पर सिध्दार्थ पवार को एक वर्ष अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा. साथ ही जुर्माने की रकम न्यायालय में जमा कराये जाने पर वह रकम मृतक के परिजनों को दी जायेगी. इस मामले में अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता एड. सोनाली सुबोध क्षीरसागर ने सफलतापूर्वक पैरवी की. जिनके द्वारा पेश किये गये सबूतों व गवाहों को ग्राह्य मानते हुए अदालत ने आरोपी सिध्दार्थ पवार को दोषी करार दिया.
इस्तगासे के मुताबिक मंगरूल चव्हाला पुलिस थानांतर्गत पारधी बेडा निवासी सिध्दार्थ पवार ने 25 जनवरी 2019 की दोपहर 3 बजे अपनी पत्नी सरला पवार द्वारा भोजन नहीं बनाये जाने से नाराज होकर उसके साथ कुल्हाडी के डंडे से जबर्दस्त मारपीट की थी. जिसमें सरला पवार बुरी तरह से घायल हो गई थी और उसे इलाज के लिए नांदगांव खंडेश्वर के सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया था. साथ ही इस मामले को लेकर मंगरूल चव्हाला पुलिस थाने में धारा 324 व 504 के तहत अपराध दर्ज किया गया था. उधर सरला पवार प्राथमिक इलाज कराने के बाद आगे इलाज न कराते हुए अपने घर लौट गई. किंतु बाद में जख्मों की वजह से उसकी तबियत बिगडने पर उसे 13 फरवरी 2019 को यवतमाल में इलाज हेतु भरती कराया गया. जहां पर इलाज के दौरान 14 फरवरी 2019 को उसकी मौत हो गई. ऐसे में पुलिस द्वारा इस मामले में धारा 302 को भी जोडा गया और हत्यारोपी पति सिध्दार्थ पवार को गिरफ्तार करने के साथ ही मामले की जांच करते हुए अदालत के समक्ष चार्जशीट पेश की गई.
इस मामले की सुनवाई दौरान अतिरिक्त सरकारी अभियोक्ता सोनाली क्षीरसागर ने अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 11 गवाह पेश किये. जिसमें से प्रत्यक्षदर्शी गवाह आगे चलकर होस्टाईल होते हुए अपने बयान से पलट गया. किंतु इसके बावजूद इस मामले को लेकर प्रस्तुत किये गये प्रत्यक्ष व वैद्यकीय सबूतों, जांच अधिकारी व डॉक्टरों की गवाही तथा एड. सोनाली क्षीरसागर के युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए न्या. श्रीमती एस. ए. सिन्हा ने आरोपी सिध्दार्थ पवार को भादंवि की धारा 302, 324 व 504 के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास तथा 10 हजार रूपये के दंड की सजा सुनाई. इस मामले में जांच अधिकारी के तौर पर मंगरूल चव्हाला पुलिस थाने के पीएसआई अरविंद कवडूजी कुमरे तथा पैरवी अधिकारी के तौर पर पोहेकां पिंजरकर व नापोकां अरूण हटवार ने प्रभावी रूप से काम किया.