अमरावती/दि.17- जिला सामान्य अस्पताल इर्विन में उपचार के लिए आने वाले मेलघाट के बंधुओं की मदद के लिए 2009 से मेलघाट सेल शुरु किया गया है. मेलघाट से आने वाले मरीजों को उचित स्वास्थ्य सेवा मिले, आदिवासी बंधुओं के साथ उनकी ही बोली भाषा में संवाद साधकर उन्हें उपचार के लिए समुपदेशन किया जाता है. समुपदेशन के लिए मेलघाट के ही 6 लोगों की समुपदेशक के रुप में नियुक्ति की गई है. जिसके चलते हजारों मेलघाट के मरीजों के प्राण बचाने में मददगार साबित होने वाले मेलघाट सेल मेलघाट वासियों के लिए संजीवनी साबित हो रही है.
जिला सामान्य अस्पताल में रोज 6 से 7 आदिवासी मरीज उपचार के लिए दाखिल होते हैं. लेकिन यहां के आदिवासी बांधवों की बोली भाषा कोरकू होने से डॉक्टरों को भी उनसे संवाद साधने में दिक्कतें निर्माण हो रही थी. जिसके चलते अनेक आदिवासी बांधव उपचार लिये बगैर अस्पताल से पलायन करते थे. लेकिन मेलघाट सेल के माध्यम से अब इस मरीजों से उनकी ही भाषा में समुपदेशन किया जा रहा है. वहीं डॉक्टर्स को भी मरीज को क्या तकलीफ हो रही है, इसकी जानकारी मिलने से समय पर उचित उपचार करने में मदद मिल रही है. यह जानकारी समाजसेवा अधीक्षक अजय सोलंके ने दी.
सिकलसेल के मरीजों की संख्या अधिक
मेलघाट क्षेत्र से सिकलसेल बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बड़े पैमाने पर है. जिसके चलते मेलघाट के सिकलसेल का मरीज भर्ती होने पर उसे आवश्यक रक्त की आपूर्ति तुरंत करने का काम मेलघाट ेसेल के माध्यम से किया जाता है. अस्पताल में यदि खून उपलब्ध नहीं हो तो जिले की अन्य रक्तपेढ़ियों से संपर्क कर संबंधित मरीजों को खून दिलवाने का काम समुपदेशक करते हैं.
कुपोषित बालकों की 14 दिन तक ली जाती है दखल
मेलघाट में कुपोषण का प्रमाण बड़े पैमाने पर है. जिसके चलते अनेक बालकों को इसके कारण अपनी जान गवानी पड़ती है. ऐसी स्थिति में जिला सामान्य अस्पताल में उपचार के लिए दाखल हुए कुपोषित बालकों को वार्ड क्र. 17 में उपचार के लिए 14 दिनों तक रखा जाता है. इन बालकों की समय-समय पर देखरेख करना, उन्हें रोज पोष्टिक आहार देने का काम मेलघाट सेल की महिला समुपदेशक करती है. 14 दिनों तक वे बालक को उचित आहार से कुपोषण मुक्त करती हैं.