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जिंदगी तुझे भी ना मिलेगी दोबारा…..

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी महिलाओं को शुभकामनाएं. हम सभी जानते कि आज के दिन महिलाओं के सम्मान और उनके सामाजिक योगदान पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. हम महिला दिवस पर कुछ ऐसी महिलाओं से रूबरू होते हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में ऐसा पराक्रम कर दिखाया है, जिससे समाज में ही नहीं देश-विदेश में भारत का नाम रोशन हुआ है. जैसे के मदर टेरेसा, मिताली राज, इंदिरा गांधी, कल्पना चावला, किरण बेदी, सानिया मिर्जा, जीजाबाई, झांसी की रानी ऐसे कई नाम है. इतिहास में ही नहीं वर्तमान जीवन में भी ऐसी हर महिला अपने घर में मदर टेरेसा, मिताली राज या झांसी की रानी का भुमिका रोजमर्रा के जीवन में निभाती हैं. कुछ परिवारों में उनकी सराहना होती है, तो कहीं जीवन बीत जाता है पर पीठ पर हाथ थपथपाने वाला भी कोई नहीं होता. महिला दिवस के अवसर पर जिक्र करना चाहूंगी एक ऐसी ही पराक्रमी महिला का जिनका अभी कुछ माह पूर्व राजापेठ पुलिस स्टेशन की एपीआई प्रियंका कोठावार मैडम का जिनके एक्सीडेंट की खबर हम सभी ने अखबार में पढी होंगी. परंतु जब मैं उनसे रूबरू मिली और उनके एक्सीडेंट की घटना सुनी तब मेरे रोंगटे खड़े हो गए, प्रियंका मैडम राजापेठ पुलिस स्टेशन में कार्यरत है, हर काम में भी निपुण घर में हो या पुलिस स्टेशन या हो सामाजिक कार्य हो. उसे दिन भी वे सुबह 9 बजे पुलिस स्टेशन पहुंच गए थे, तभी उन्होंने उन्हें याद आया कि बच्चों को दवा देना वे भूल गए हैं, तुरंत वापस घर लौट कर दवा देकर वह समय पर पुलिस स्टेशन के लिए निकले तभी गर्ल्स हाईस्कूल चौक पर उनके बाजु में एक ट्रक चल रहा था. अचानक ट्रक ने बिना इंडिकेटर के गाड़ी मोड़ ली, तभी मैडम की गाड़ी सीधा ट्रक के सामने के चाक्कों के बीच में चली गई. इतना जोरदार झटका था कि उनका एक पैर घुटने से अलग हो चुका था पर ट्रक चालक को पता नहीं चला उसने गाड़ी रोक कुछ हुआ उसे लगा, वह ट्रक पीछे कर रहा था तब मैडम का सर सामने के चक्के से एक फुट पर था, मैडम ने देखा नीचे, तब पैर कट चुका था पर वह घबराई नहीं उन्होंने तब भी सोच ईश्वर ने उन्हें जिंदा तो रखा है, वह ट्रक का चक्का बजाने लगी बताने के लिए कि वह नीचे है पर ट्रक चालक को आवाज नहीं आई और वह ट्रक पीछे करने लगा तब मैडम ने दूसरा पैर को पास में कर धीरे-धीरे नीचे की ओर सड़क गए. तब तक लोगों ने ट्रक रोक लिया था. उन्हें दो लोगों ने बाहर निकला तब भी वह हिम्मत नहीं हारी उन्होंने मोबाइल देखा सही सलामत था. पहले कॉल उन्होंने पुलिस स्टेशन लगवाया. यह बताने के लिए कि वह नहीं आ पाएगी उनकी छुट्टी डाल दी जाए. मैं दूसरे दिन उनसे मिली उन्होंने आशावादी चेहरे से मुझे देखा और कहा कि ईश्वर ने मुझे बच्चों के लिए जिंदा तो रखा है और वे आज भी पूरे उत्साह से सकारात्मक सोच के साथ छोटे-छोटे रील बनाकर कार्यक्रम करके खुद भी खुश रहती है और परिवार को भी खुश रखती है. उनके इस कठिन समय में उनके पति और बच्चे उनके साथ हर वक्त खड़े है. सलाम है प्रियंका मैडम की हिम्मत को और उनकी नौकरी के लिए प्रति ईमानदारी को. इस घटना से झांसी की रानी के प्रति के वह शब्द याद आ गए खूब लड़ी मैदानी वह झांसी वाली रानी थी. घटना बताने का तात्पर्य यह है कि चाहे कितनी भी मुश्किल स्थिति क्यों ना आ जाए हम महिलाएं भी समय सुचकता से काम, मन संतुलित रख कर लेकर स्थिति को मार देती है तो वह सिर्फ अपने परिवार के लिए. इतिहास की घटनाओं की चर्चा हम करते हैं परंतु हमारे सामने ही ऐसी ही महिलाएं हैं, जो हिम्मत से अपने जीवन की जिम्मेदारियां का निर्वहन करती है और सामाजिक उत्तरदायित्व को भी निभाती है. परन्तु भारतीय महिलाएं परिवार की खातिर अपना जीवन होम करती है, परिवार के प्रति उनका यह त्याग उन्हें सम्मान का अधिकारी बनता है, परंतु दुख के साथ करना पड़ता है कि कभी-कभी यह सम्मान उन्हें उनके जीवनसाथी से भी नहीं मिल पाता है तथा हम एक दूसरे का साथ देने के बजाय रिश्तों में मुश्किलें खड़ी करती है. आज महिला दिवस पर मैं एक अनुरोध महिलाओं से करना चाहती हूं कि हर स्त्री ने खुद के लिए समय निकालना चाहिए, खुद को स्वस्थ रखें ताकि पूरा परिवार हम स्वस्थ रख पाएं. जिम्मेदारियां पूरी करते-करते जीवन कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता. लाख मेहनत करने पर भी न रहता, नहीं कोई आभारी हर घर में रहती है ऐसी नारी. बुढ़ापा आने पर जब मूड कर देखे तब पता चलता है की अब तो समय ही नहीं बचा निकलने के लिए. इसीलिए हर स्त्री के लिए एक यह कहना चाहूंगी ये जिंदगी तुझे भी नहीं मिलेगी दोबारा.

दूसरों पर मरने के साथ ही अच्छा है खुद के लिए भी थोड़ा जिया करो जिंदगी तुम्हें भी एक बार ही मिली है, अपने लिए भी थोड़ा समय निकाला करो. प्यार, रिश्ते, नाते, जिम्मेदारी माना कि सब जरुरी है, पर तू ही सलामत ना रहे, तो पगली यह सब कहां जरूरी है.
– सारिका दीप मिश्रा,
9822710176.

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