खेत में जाने का रास्ता बंद करना यानि आत्महत्या हेतु प्रोत्साहित करना नहीं

हाईकोर्ट ने आत्महत्या हेतु उकसाने के मामले की एफआईआर को किया रद्द

नागपुर /दि.23 – केवल खेत में जाने के रास्ते को बंद करने और इसे लेकर हुए विवाद के चलते मारपीट होने की वजह से किसी के खिलाफ आत्महत्या हेतु उकसाने का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता, क्योंकि आत्महत्या हेतु उकसाने से संबंधित मामले में इसे लेकर कोई शब्द, कृत्य एवं व्यवहार का होना भी आवश्यक होता है और ऐसे अपराध को साबित करने के लिए ठोस सबूत भी जरुरी होते है, इस आशय का निरीक्षण दर्ज करते हुए हाईकोर्ट ने एक मामले के तहत आत्महत्या हेतु उकसाने को लेकर दर्ज एफआईआर व मुकदमे को खारिज कर दिया. यह फैसला न्या. उर्मिला जोशी फालके व नंदेश देशपांडे द्वारा सुनाया गया.
इस संदर्भ में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अमरावती जिले के अंजनगांव सुर्जी तहसील अंतर्गत तुरखेड गांव में रहनेवाले पांडुरंग महल्ले अपने खेत में आने-जाने हेतु देवीदास वानखडे (76) व कुछ अन्य लोगों के खेत की जमीन का प्रयोग किया करते थे. इसे लेकर हुए विवाद के चलते वानखडे व अन्य किसानों ने 18 मई 2022 को उक्त रास्ता बंद कर महल्ले के साथ मारपीट की थी. जिससे व्यथित होकर पांडुरंग महल्ले ने 19 मई को फांसी लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी. जिसे लेकर मिली शिकायत के आधार पर देवीदास वानखडे के खिलाफ पुलिस ने पांडुरंग महल्ले को आत्महत्या हेतु उकसाने का मामला दर्ज किया था तथा जांच पूरी करने के उपरांत अदालत में चार्जशीट पेश कर मुकदमा भी दायर किया गया था. जिसके चलते देवीदास वानखडे ने अपने वकील के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का निवेदन किया था. इस याचिका में कहा गया था कि, देवीदास वानखडे द्वारा पांडुरंग महल्ले को आत्महत्या करने हेतु बाध्य करनेवाली कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृति नहीं की गई. साथ ही पांडुरंग महल्ले द्वारा आत्महत्या की जाए, ऐसा देवीदास वानखडे का उद्देश्य नहीं था और पांडुरंग महल्ले के सामने आत्महत्या के अलावा अन्य कोई पर्याय शेष नहीं रहने वाली स्थिति भी पैदा नहीं की गई थी, बल्कि गांव-देहातों में खेत से होकर गुजरनेवाले पगडंडी रास्तों को लेकर किसानों के बीच विवाद होना बेहद आम बात है. इस मामले में दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष को सही मानते हुए देवीदास वानखडे के खिलाफ की गई कार्रवाई को गलत बताया एवं वानखडे के खिलाफ दर्ज एफआईआर व दायर मुकदमे को खारिज करने का आदेश जारी किया. इस मामले में देवीदास वानखडे की ओर से एड. आकाश मुन द्वारा हाईकोर्ट में पैरवी की गई.

 

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