सहायता का लाभ सभी को मिले
राज्य में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने 14 अप्रैल की रात से मिनी लॉकडाउन घोषित किया जा रहा है. इसमें अनेक कडे प्रावधान किए गये है. जिससे लॉकडाउन जिसका नाम ब्रेक द चेन रखा गया है. लेकिन किसी महामारी की श्रृंखला को रोकने के लिए केवल लॉकडाउन घोषित कर देना यह पर्याप्त नहीं है. इसके लिए प्रभावी अमल भी जरूरी है. बीते एक वर्ष से कोरोना का संक्रमण जारी है. इसे रोकने के लिए अत्यंत जरूरी है कि कोरोना की चेन कहीं न कहीं टूटनी चाहिए. जन सामान्य को इसकी ओर से विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. हालाकि कोरोना का संक्रमण संसर्ग में आनेवाले लोगों के कारण होता है. इसलिए परस्पर दूरी बनाकर व कोरोना रोकने के लिए विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए. सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके द्वारा लादे गये निर्बंध का कडाई से पालन किया जाना चाहिए. क्योंकि बीमारी का स्वरूप दिनों दिन भयंकर होता जा रहा है. इसके चलते सामान्य व्यक्ति के समक्ष अनेक समस्या भी निर्माण होने लगी है. बावजूद इसके कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जो निर्बंध लगाये गये है. उनका पालन होना आवश्यक है. क
क्योंकि इस लॉकडाउन में सरकार ने अनेक जरूरतमंदों के लिए पैकेज की घोषणा की है. इसमें फेरीवालों को 1500 रूपये, रिक्षा चालको को 1500 रूपये और 12 लाख आदिवासी परिवारों को 2 हजार रूपये की राशि दी जायेगी. यह घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री ने जनता से संवाद करते समय दी. निश्चित रूप से इस लॉकडाउन में जरूरतमंदो के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान है. लेकिन राज्य में ऐसे अनेक श्रमिक है जिनका न तो कोई पंजीयन है और न ही उन्हें कोई सहायता देनेवाला है. इस हालत में सरकार को चाहिए कि वह सभी जरूरतमंदो के लिए राशि खुली कर दे. खासकर लॉकडाउन में कुछ प्रतिष्ठानों को पूरी तरह बंद रखा जा रहा है. लेकिन जीवनावश्यक वस्तुओं के नाम पर अनेक प्रतिष्ठान शुरू किए जा रहे है. इसमें फेरीवाले भी शामिल है. ब्रेक द चेन की संकल्पना के लिए जरूरी है कि अधिकाधिक लोगों का भ्रमण रोका जाए. यहां पर अनेक प्रतिष्ठान जीवनावश्यक वस्तुओं के नाम पर खुले रहेंगे तथा इनका सुबह 7 से रात 8 बजे तक का है. जाहीर है कि जब जीवनावश्क वस्तुओं की दुकाने खुली है. इनका समय सीमित किया जा सकता है. पहले दोपहर 3 बजे प्रतिष्ठान बंद किए जा रहे थे. जिससे दोपहर के बाद प्रदूषण गायब होने लगता था. लेकिन अब दिनभर जीवनावश्यक वस्तुओं के प्रतिष्ठान खुले रहेंगे. परिणाम स्वरूप ग्राहको का भी आवश्यक वस्तुए खरीदने के लिए बाहर निकलना जारी रहेगा. इससे संक्रमण और बढ़ सकता है. अत: जरूरी है कि जीवनावश्यक वस्तुओं को भले ही अनुमति दी जाए लेकिन उसका समय इतना लंबा न रखते हुए सीमित रखा जाए. जिससे लोगों को आवश्यक वस्तुओं की खरीदी में कठिनाई नहीं होगी साथ ही 24 घंटों में कुछ घंटे पूरी तरह प्रदूषण व भीड़ से बचेंगे. इसका लाभ निश्चित रूप से वातावरण पर होगा. पाया जाता है कि आज अनेक लोगों को दिनभर घूमते रहने क अवसर मिलता है. यदि एक निर्धारित समय के बाद वातावरण में सन्नाटा आ जायेगा जिससे तरह-तरह के जो प्रदूषण निर्मित हो रहे है उन्हें दूर किया जा सकेगा.
सरकार द्वारा जो पैकेज घोषित किए गये है वे पंजीकृत श्रमिको के लिए है. लेकिन अनेक लोग जो पूरी तरह असंगठित श्रमिक के रूप में कार्यरत है उन्हें कोई विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है. यही कारण है कि उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आज स्थिति यह हे कि महंगाई के कारण एक घर के अनेक लोग कार्य करते है. इन सबकी आय से घर का कार्य चलता है. लेकिन अब उन्हें न तो कोई सहायता मिलेगी और न ही कार्य. परिणामस्वरूप उन्हें भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा. जरूरी है कि सरकार सभी क्षेत्र में कार्यरत श्रमिको को सहायता घोषित करे. अनेक दुकानों पर बोर्ड लगे रहते है कि कर्मचारी को वेतन रोजाना दिया जाता है. ऐसे में जो भी श्रमिक कार्य करता होगा उसका पंजीयन नहीं होगा. लेकिन जरूरत उसकी भी कायम है इसलिए जरूरी है सरकार हर जरूरतमंद को सहायता दे. इससे उन्हें भी राहत मिलेगी.बहरहाल जनसामान्य के स्वास्थ्य के लिए लॉकडाउन आवश्यक है. इसलिए लॉकडाउन के साथ जरूरतमंदों की सहायता का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.