संपादकीय

दोषियों पर कडी कार्रवाई जरूरी

मुंबई उपनगर के साकीनाका में गत सप्ताह हुई अमानवीय दुष्कर्म की घटना व पीडिता की हत्या के मामले के बाद एक बार फिर दुष्कर्म की घटनाओं की समीक्षा आरंभ हो गई है. नैशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में रोजाना औसत 77 दुष्कर्म की घटनाए हुई है. पूरे देश में 28046 दुष्कर्म की घटनाएं हुई. नारी उत्पीडन की सर्वाधिक वारादाते राजस्थान में हुई है. जाहीर है दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जो प्रयास किए जा रहे है वे उतने कामयाब नहीं हो पाए है. मुख्य बात तो यह है कि ऐसे मामलोें में अनेक दोषी प्रमाण के अभाव में बच जाते है. जिससे उनका मनोबल और बढ जाता है. जरूरी है कि ऐसे तत्वों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए तथा दुष्कर्म के मामलों को फॉस्टट्रैक अदालतों में चलाया जाना चाहिए ताकि दोषियों को तत्काल सजा मिल सके.
यदि इसमें सजा का प्रावधान कडा किया गया तो संभव है ऐसे मामलों पर रोक लग सकेगी. हालाकि इस तरह की घटनाओं का होना अपने आप में दुर्भाग्य पूर्ण है. विशेष तौर पर यह पाया जाता है कि जब घटनाएं हो जाती है तब सरकार की ओर से कडे कदम उठाने की बात कही जाती है. इस तरह की भूमिका यदि सरकार पहले से ही अपना ले तो दूष्कर्मी तत्व पर अंकुश रखा जा सकता है. इस बारे में सरकार को गंभीरतापूर्वक चिंतन करना चाहिए.

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