छोटी को बडप्पन देकर पुकार पर दौडनेवाली एकवीरा देवी

ऐतिहासिक और पुरातन मंदिर

* चांदी का सिंहासन
अमरावती/ दि. 23 – जिले और प्रदेश के अनेक भागों में महनीय महत्ता रखती एवं पूजी जाती एकवीरा देवी के श्रध्दालु नियमित दर्शन करते हैं. मन्नत रखते हैं. भक्तों की पुकार पर दौड लगानेवाली देवी के रूप में एकवीरा प्रसिध्द है. ऐसे एकवीरा ेदेवी का मंदिर ऐतिहासिक और लगभग 400 वर्ष पुरातन हैं. उसके नये कलेवर में भी ऐतिहासिक होने की छाप पग-पग पर है.
श्री एकवीरा देवी को उनके भक्त जनार्दन स्वामी के कारण भी प्रसिध्दी प्राप्त है. देवी एकवीरा ने ही अपने परम भक्त जनार्दन स्वामी की सिध्दी को सिध्द किया था. लगभग 1660 में अंबा देवी मंदिर के बिल्कुल पास में यह मंदिर बनाया गया था. उन्हें अंबा माता का ही अवतार माना जाता है. भारतीय श्रध्दानुसार मंदिर शक्ति या देवी सामर्थ्य के प्रतीक है. परिसर बडे पत्थरो ंसे बनी दीवार से घिरा है. उस पर नक्काशी की गई है.
एकवीरा देवी मंदिर का मुख्य मंंडप 24 स्तंभ का है. वहां सुंदर चित्र उकेरे गये हैंं. गर्भगृह इस परिसर के बीचोबीच स्थित है. जहां देवी एकवीरा की मूर्ति की रोज पूजा की जाती है. मुख्य मूर्ति चांदी की है और माता जिस आसन पर विराजमान है. वह भी चांदी में गढा हैं. मुगलों के आक्रमण पश्चात संत जनार्दन स्वामी ने अंबा और एकवीरा देवी मंदिरों का नव निर्माण करवाया था.
एकवीरा और अंबा देवी मंदिर में शारदीय नवरात्रि का मेला सजा है. मराठवाडा के कंदीपेढा के विकी स्टॉल यहां सजे हैं. प्रतिवर्ष यह विक्रेता अपना कंदीपेढा लेकर यहां आते है और भाविक भी चाव से यह पेढे एकवीरा देवी को अर्पित करते हैं.

 

Back to top button