मछली पकडने के लिए विस्फोट का इस्तेमाल, हाथ का पंजा हुआ छलनी

हरीसाल की घटना

धारणी/दि.24 – महंगे दामों में बेची जानेवाली मछली भारी मात्रा में मिलने की लालसा में 55 वर्षीय आदिवासी व्यक्ति ने नदी से मछलियां पकडने के लिए विशेष विस्फोट का इस्तेमाल किया. उसके हाथ में ही विस्फोट होने से उसके हाथ पंजा पूरी तरह चकनाचूर हो गया. रविवार की दोपहर में यह घटना हरिसाल फैलठाणा में गठित हुई. जख्मी व्यक्ति का नाम प्रभू बनसी गिरी हैं.
जानकारी के मुताबिक प्रभू गिरी रविवार की दोपहर में सिपना नदी में मछलियां पकडने के लिए गया था. मलिया प्रजाति की विशेष मछलियां बडी संख्या में मिलने के लिए उसने माइट नामक विस्फोट का इस्तेमाल किया. उसे जलाने के बाद नदी में छोडने के पूर्व ही हाथ में ही उसका विस्फोट हो गया. इस हादसे में प्रभू के एक हाथ का पंजा अलग हो गया. हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गया.

* दिवाली के बाद ‘मलिया’
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प क्षेत्र में स्थित सिपना नदी में मलिया मछली दिवाली के बाद केवल दो माह की कालावधि में मिलती है. प्रतिकिलो 600 रुपए दम उसके मिलते है. अनेक परिवार का पेट इसी मछलिया पकडने से भरता हैं. कुछ लोग जाल, पत्थर के जाल बांधकर अथवा नदी में अथक परिश्रम कर मछलिया पकडते और हरिसाल में उसकी बिक्री करते है, ऐसा नागरिकों का कहना हैं.

माईट का खतरा
अधिक मछली पकडने की लालसा में अनेकबार नदी नालों में विद्युत प्रवाह छोडा जाता है अथवा माइट का विस्फोट किया जाता है. जंगली सुअर अथवा अन्य पशुओं के बंदोबस्त के लिए आदिवासी जो बारूद इकट्ठा करते है उससे ज्यादा यह खतरनाक रहता हैं.

* अनेक सवाल अनुत्तरित
व्याघ्र प्रकल्प के प्रतिबंधित क्षेत्र में विस्फोट कैसे किया जाता हैं, यह माईट का गोला कहा से आता है और इस खतरनाक कृत्य पर कार्रवाई क्यों नहीं होती यह प्रश्न अनुत्तरित हैं.

 

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