मोदी सरकार सेना की पेंशन सुविधा पर अंकुश लगा कर रही है कटौती
नई दिल्ली/दि.६– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सेना के नियमों में बदलाव कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. दरअसल इस विवाद का मुख्य कारण 29 अक्टूबर के रक्षा मंत्रालय के पत्र के संदर्भ में तैयार किया गया.
वह प्रस्ताव है, जिस पर कार्यवाही कर 10 नवंबर तक आदेश जारी करने को कहा गया है, इस प्रस्तावित आदेश में पेंशन और सेवा निवृति की शर्तों में भारी बदलाव किये गये है. उल्लेखनीय है अब तक 20 वर्षों तक सैन्य सेवा के बाद सैन्य कर्मी अंतिम वेतन का 50 फ़ीसदी राशि पेंशन के रूप में पाने के हक़दार थे लेकिन नये प्रस्तावों पर आदेश जारी होते ही किसी सैन्यकर्मी को मिल रही 50 फ़ीसदी पेंशन की 50 फ़ीसदी आधी पेंशन ही पेंशन मिल सकेगी. पूरी पेंशन के हक़दार केवल अब वही सैन्य कर्मी होंगे जो 35 साल तक भारतीय सेना को अपनी सेवा दे पाते हैं.
नई सेवा शर्तें उन सभी सैन्य कर्मियों पर लागू होंगी जो भले ही 20 वर्ष पूर्व सेना में क्यों न शामिल हुये हों. अवकाश ग्रहण करने का इस प्रस्ताव में विशेष उल्लेख है ,जिसके तहत कर्नल तक के सैन्यकर्मी 57 वर्ष पर ,ब्रिगेडियर 58 वर्ष, मेजऱ जनरल 59 वर्ष पर रिटायर्ड हो जायेंगे.
सरकार के इस आदेश को लेकर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि राजनीति के सेना का नाम भुनाने वाली मोदी सरकार सैन्य कर्मियों की जेब पर ही डाका डाल रही है ,पार्टी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा वन रैंक वन पेंशन देने की जगह यह सरकार वर्तमान पेंशन में कटौती कर उसे आधा कर रही है. उनका मानना था कि इस आदेश से 90 फ़ीसदी सैन्य कर्मी पेंशन की सुविधा से बाहर हो जायेंगे.